कोविड महामारी ने केंद्र सरकार को गंभीर आर्थिक मंदी की चपेट से देश को बाहर निकालने के लिए खर्च करने के लिए प्रोत्साहित किया है. 2021-22 के लिए केंद्रीय बजट में केंद्र ने 5.54 लाख करोड़ रुपये के कैपिटल एक्सपेंडिचर का प्रस्ताव किया था जो वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान से 34.5% अधिक था. अब कोविड की दूसरी लहर पूरे देश में तेजी से फैल रही है, ऐसे में केंद्र ने महामारी के असर को दूर करने के लिए अलग-अलग मंत्रालयों को कैपिटल एक्सपेंडिचर पर खर्च में तेजी लाने के लिए कहा है.
ग्रोथ के लिए ज्यादा पैसा खर्च
यह एक पुराना आजमाया हुआ नुस्खा है और सरकारें ग्रोथ को बढ़ाने के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर में बढ़ोतरी करती हैं.
गुरुवार को सरकार ने मंत्रालयों को प्रोजेक्ट्स शुरू करने की छूट दे दी है और मंथली और तिमाही खर्च की पाबंदियों से भी उन्हें आजाद कर दिया है. मंत्रालय अब तत्काल प्रभाव से ज्यादा पैसे खर्च कर सकते हैं.
इंफ्रा प्रोजेक्ट्स पर बढ़ेगा खर्च
कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ाने का मतलब है कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में तेजी आएगी. इनमें रोड्स, पोर्ट, एयरपोर्ट, जैसे प्रोजेक्ट आते हैं. इनसे बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होने का रास्ता खुलेगा और अर्थव्यवस्था में रफ्तार आएगी.
रिजर्व बैंक के एक अनुमान के मुताबिक, केंद्र द्वारा खर्च किया जाने वाला हर रुपया ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) में 3.14 रुपये का इजाफा करता है. पिछले एक दशक में कैपिटल एक्सपेंडिचर का 2021-22 के बजट में सबसे ज्यादा हिस्सा रहा है.
पिछले वित्त वर्ष से ही खर्च पर है सरकार का फोकस
केंद्र पिछले वित्त वर्ष से ही कैपिटल एक्सपेंडिचर पर जोर रहा है. पिछले वित्त वर्ष (2020-21) में केंद्र ने योजनागत खर्च को 4.12 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4.39 लाख करोड़ रुपये कर दिया था.
बजट स्पीच में निर्मला सीतारमण ने कहा था, “यह हमारी कोशिश रही है कि संसाधनों की कमी के बावजूद हमें कैपिटल एक्सपेंडिचर पर ज्यादा खर्च करना चाहिए.”
उन्होंने अपनी बजट स्पीच में कहा था, “डिपार्टमेंट ऑफ इकनॉमिक अफेयर्स के बजट मद में मैंने 44,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम रखी है जो कि प्रोजेक्ट्स और प्रोग्राम के लिए आवंटित की जाएगी.” इन आंकड़ों के आलावा, सरकार 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम राज्यों और स्वायत्त संस्थाओं को भी खर्च के लिए दे रही है.