हर मिनट दो MSME लगाने का TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी का चुनावी वादा क्या पूरा हो सकता है?

MSME: ममता बनर्जी की पार्टी TMC ने राज्य में अगले 5 साल में 10 लाख MSME लगाने का चुनाव वादा किया है, लेकिन जानकार इस पर सवाल उठा रहे हैं.

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Image Courtesy: PTI

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तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जो वादा किया है अगर वह पूरा होता है तो यह राज्य में एक MSME क्रांति ला सकता है. 17 मार्च को जारी किए गए अपने मेनिफेस्टो में उन्होंने वादा किया गया है कि राज्य में हर साल 10 लाख माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) लगाए जाएंगे. इसका मतलब है कि तकरीबन हर मिनट दो MSME राज्य में लगाए जाएंगे.
मेनिफेस्टो में कहा गया है, “छोटे और मंझोले उद्यम बंगाल के औद्योगिक विकास में एक अहम भूमिका निभाते हैं. हर साल 10 लाख नए MSME लगाए जाएंगे.”
तृणमूल कांग्रेस (TMC) के घोषणापत्र में यह भी कहा गया है कि इस रफ्तार से पांच साल पूरे होने पर राज्य में MSME की संख्या 1.5 करोड़ पर पहुंच जाएगी. 2011 की जनगणना के मुताबिक, राज्य की आबादी करीब 9.18 करोड़ है.
MSME मिनिस्ट्री की 2019-20 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में यूनिट्स की संख्या 2006-07 में 34.64 लाख थी जो कि 2015-16 में बढ़कर 88.67 लाख हो गई. इसका मतलब है कि राज्य में हर साल 6 लाख MSME लगाए गए हैं.
यह आंकड़ा हर मिनट 1.14 MSME यूनिट्स को दिखाता है. अपने मेनिफेस्टो में ममता बनर्जी ने इस दर को तकरीबन दोगुना करने का वादा किया है.
माइक्रो, स्मॉलएंड मीडियम एंटरप्राइज एक्ट, 2006 में यूनिट्स की तीन कैटेगरीज को परिभाषित किया गया है. कोई भी यूनिट जिसका प्लांट और मशीनरी में 25 लाख रुपये तक का निवेश है उसे माइक्रो एंटरप्राइज कहा जाता है. अगर यह यूनिट सर्विसेज सेक्टर की है तो यह निवेश 10 लाख रुपये तक होना चाहिए.
एक स्मॉल यूनिट के तौर पर योग्यता के लिए प्लांट और मशीनरी में निवेश 25 लाख रुपये से 5 करोड़ रुपये के बीच होना चाहिए. सर्विसेज सेक्टर के लिए यह सीमा 10 लाख रुपये से 2 करोड़ रुपये तक की है.
कोई एंटरप्राइज एक मीडियम यूनिट के तौर पर तभी माना जाता है जबकि इसका प्लांट और मशीनरी में निवेश 5 करोड़ रुपये से लेकर 10 करोड़ रुपये तक होता है. सर्विसेज सेक्टर के लिए यह सीमा 2 करोड़ रुपये से 5 करोड़ रुपये है.
राजनीतिक जानकार और नौकरशाह TMC सुप्रीमो के इस वादे पर सवाल उठा रहे हैं. इनका कहना है कि MSME यूनिट्स की परिभाषा वास्तविकता में एक छोटी दुकान को भी माइक्रो यूनिट के तौर पर मानती है.
इकनॉमिक्स के प्रोफेसर महानंदा कांजीलाल कहते हैं, “MSME के आगे बढ़ने के लिए एक अनुकूल माहौल और इंफ्रास्ट्रक्चर का सपोर्ट होना चाहिए. सड़क के किनारे मौजूद नमकीन की दुकान को MSME यूनिट नहीं माना जाना चाहिए. हालांकि, यह परिभाषा के हिसाब से माइक्रो यूनिट मानी जा सकती है.”

इंडस्ट्री डिपार्टमेंट के इंचार्ज रहे एक पूर्व नौकरशाह कहते हैं, “दो यूनिट हर मिनट लगाने का टारगेट बेहद जबरदस्त नजर आता है. अगर आप कहां कि सड़क के किनारे खड़ा एक वेंडर भी MSME यूनिट माना जाएगा तब मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है.”

फरवरी 2015 में ममता की कड़ी आलोचना हुई थी. उस वक्त उन्होेंने कहा था कि स्थानीय तले हुए नमकीन बेचने वाले, या चाय की दुकान या मिठाई की दुकान भी रोजगार पैदा करती है और वे ऐसे किसी बड़े निवेश और स्थानीय छोटे उद्यम के बीच कोई सीमा खींचे जाने के पक्ष में नहीं हैं.
जनवरी 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस तरह के कामकाज से पैदा होने वाले रोजगार की चर्चा की थी और कहा था कि यहां तक कि पकौड़ा दुकान को भी रोजगार माना जाना चाहिए.
हालांकि, बंगाल की मुख्यमंत्री का औद्योगिकीकरण का सपना MSME यूनिट्स के साथ खत्म नहीं होता. उनके मेनिफेस्टो में कहा गया है कि 2,000 बड़ी औद्योगिक इकाइयां भी अगले पांच साल में राज्य में खड़ी की जाएंगी.

Published - March 18, 2021, 06:11 IST