Cabinet: हाल में मोदी सरकार के मंत्रीमंडल (Cabinet) का विस्तार हुआ है. इसमें दो चेहरों की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है. इनका नाम है अनुप्रिया पटेल और पंकज चौधरी. आज हम आपको इनके बारे में बताने जा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश की महराजगंज सीट से 1991 में पहली बार लोकसभा का चुनाव जीतने वाले 56 वर्षीय चौधरी 10वीं, 11वीं, 12वीं, 14वीं, 16वीं और 17वीं लोकसभा के लिए भाजपा के सांसद चुने जा चुके हैं.
हालांकि 1999 के लोकसभा चुनाव में उन्हें समाजवादी पार्टी के अखिलेश सिंह के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा. मगर, 2004 के लोकसभा चुनाव में वह फिर विजेता रहे.
इसके बाद 2009 में फिर एक बार हारने के बाद भाजपा ने साल 2014 में उन्हें महाराजगंज सीट से ही पुन: टिकट दिया और वह फिर से जीत गए. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में वह छठी बार सांसद चुने गए.
पंकज ने 1989 में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत गोरखपुर नगर निगम के पार्षद के रूप में की थी और जल्द ही वह उप-महापौर बन गए. उन्हें 1990 में भाजपा राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य बनाया गया.
पंकज का जन्म गोरखपुर में ही 20 नवंबर 1964 को हुआ था. उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक किया है. कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखने वाले पंकज खुद भी एक बड़े कारोबारी हैं.
ठंडे आयुर्वेदिक तेल ‘राहत रूह’ का कारोबार उन्हें विरासत में मिला, जिसे उन्होंने काफी आगे बढ़ाया. पूर्वी उत्तर प्रदेश में उनका ब्रांड काफी लोकप्रिय है.
दिलचस्प बात यह है कि केंद्र में मंत्री पद की सौगात उन्हें बेटी की शादी के ठीक एक दिन पहले मिली है. दिल्ली में बेटी श्रुति चौधरी की विवाह की रस्म चल रही थी.
इसी बीच चौधरी को फोन से मंत्री बनाए जाने की सूचना मिली और रस्मों के बीच ही वह पीएम आवास की ओर निकल पड़े.
अपना दल एस की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय कैबिनेट में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री के रूप में दाखिला मिला है. इससे पहले वह 2014 में मोदी सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री बनी थीं.
वह 36 वर्ष की उम्र में सबसे कम आयु की मंत्री थीं. हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद से ही उनकी कैबिनेट में वापसी के कयास लगने लगे थे.
माना जा रहा है कि अगले साल यूपी होने वाले विधानसभा चुनाव के जातीय समीकरण को देखते हुए उन्हें दोबारा एंट्री मिली है. 28 अप्रैल 1981 को कानपुर में जन्मी अनुप्रिया को राजनीति पिता सोनेलाल पटेल से विरासत में मिली है, जिन्होंने बसपा से अलग होकर पिछड़ा वर्ग को केंद्र में रखते हुए ‘अपना दल’ का गठन किया.
उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन और एमिटी यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल की है. वह कानपुर की छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी से एमबीए भी हैं.
अनुप्रिया शुरुआती जीवन में राजनीति से दूर ही रहीं, लेकिन 2009 में हादसे में पिता सोनेलाल की मौत के बाद पार्टी को संभालने के लिए वह सियासत में आ गईं.
आगे चलकर उनके परिवार में राजनीतिक विरासत को लेकर तनाव बढ़ते गए और 2016 में अनुप्रिया ने अपनी अलग पार्टी अपना दल (सोनेलाल) बना ली. अनुप्रिया 2014 में उत्तर प्रदेश की मिर्ज़ापुर से लोकसभा चुनाव जीतीं, वह 2019 में दोबारा इसी सीट से लोकसभा के लिए चुनी गईं.