ग्लोबल इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट फर्म Bernstein ने रिलायंस रिटेल और रिलायंस जियो में रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) की हिस्सेदारी का वैल्युएशन आंका है. Bernstein के मुताबिक रिलायंस रिटेल में RIL के 85 फीसदी हिस्से का वैल्युएशन 111 अरब डॉलर का है यानी इस हिसाब से समूची कंपनी का वैल्युएशन करीब 130 अरब डॉलर है. इसी तरह टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो में रिलायंस इंडस्ट्रीज की 66.5 फीसदी हिस्सेदारी का वैल्युएशन 88 अरब डॉलर आंका गया है. रिलायंस इंडस्ट्रीज इन दोनों कंपनियों का आईपीओ ला सकती है, लेकिन अभी इसके लिए कोई टाइमलाइन नहीं तय की गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि रिलायंस रिटेल ने 10.1 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 6 अरब डॉलर जुटाए थे, जबकि जियो प्लेटफॉर्म्स ने साल 2020 में 33 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर निवेशकों से 20 अरब डॉलर जुटाए थे. सिंगापुर बेस्ड सॉवरेन वेल्थ फंड जीआईसी को छोड़कर रिलायंस रिटेल में ज्यादातर निवेशकों ने जियो प्लेटफॉर्म्स में निवेश किया था. रिपोर्ट में भारत की आर्थिक विकास में तेजी की उम्मीद जताई गई है. साथ ही कहा गया है कि 2015 के बाद से आरआईएल ने 30 अरब डॉलर के ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (जीएमवी) के साथ एक विशाल खुदरा व्यापार का निर्माण किया, इसके तहत आरआईएल ने रिलायंस रिटेल के 18,000 स्टोर की स्थापना की. 4G नेटवर्क में रिलायंस जियो का दबदबा है, जिसके 430 मिलियन ग्राहक हैं. साथ ही एक मजबूत डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म भी है, जो रणनीतिक अधिग्रहण के तहत ओटीटी, आईपीएल, म्यूजिक स्ट्रीमिंग और न्यूज मुहैया कराता है.
आरआईएल की यही खूबी उसे इकलोता ऐसा दावेदार बनाता है जिसके पास एक ऑफलाइन व ऑनलाइन इंटीग्रेटेड ऑफरिंग हैं. साथ ही आरआईएल के पास टेक जगत के बड़े खिलाडि़यों जैसे अमेजन और वॉलमार्ट से प्रतिस्पर्धा करने का दम है. सभी वैश्विक दिग्गज भारतीय बाजार में मौजूद हैं, वो चाहे अमेजन, गूगल, फेसबुक, नेटफ्लिक्स और एपल जैसी ऑर्गेनिक सेटअप करने वाली कंपनियां हो या निवेश व अधिग्रहण जैसी वॉलमार्ट कंपनी. रिपोर्ट के मुताबिक ये कंपनियां गूगल और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स के जरिए डिजिटल एडवरटाइजिंग में सफल हुए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार ई-काॅमर्स में ग्रोथ की काफी संभावना है और खासतौर पर इंटरटेनमेंट फील्ड में ये और भी कामयाब हो सकता है. अभी महज रिलायंस जियो, रिलायंस रिटेल और अमेजन ही ऐसे प्लेटफॉर्म में मौजूद हैं. ई-कॉमर्स की ग्रोथ पर रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत पहले उन चंद बड़े और कम पहुंच वाले ई-कॉमर्स बाजारों में से एक था. साल 2025 तक इसकी ग्राॅस मर्चेंडाइज वैल्यू 150 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. वहीं अगले 5 वर्षों में ऑनलाइन पहुंच दोगुनी होने की संभावना है.