Scrap Park: गुजरात के भावनगर जिले का अलंग बंदरगाह दुनिया में जहाजों का सबसे बड़ा श्मशानघाट है और अब यहां वाहनों का बडा कबाड़खाना शुरू करने की योजना पर विचार किया जा रहा है. सरकार के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक, केन्द्र सरकार की स्क्रैपिंग पॉलिसी के तहत गुजरात को दो व्हीकल स्क्रैप पार्क मिल सकते है, एक अलंग में और एक कच्छ जिले में बनाने की योजना है. इन स्क्रैप पार्क में दूसरे राज्यों से 15-20 साल पुराने वाहनों को नष्ट करने और पुनर्चक्रण करने के लिए लाया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि स्क्रैप पार्क से गुजरात के हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा और इनके साथ दूसरे उद्योगों को विकास करने का मौका मिलेगा.
स्ट्रैटेजिक लोकेशनः
स्क्रैप पार्क के लिए सरकार बंदरगाह के नजदीक का शहर ढूंढ रही है. स्क्रैप पार्क को ऐसी जगह बनाए जाने की योजना है, जहां ट्रांसपोर्टेशन की अच्छी सुविधा हो और बिजली, पानी भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो. इसके अलावा आसपास स्क्रैपिंग कारोबार से जुड़े दूसरे उद्योग भी होने चाहिए. भावनगर और कच्छ दोनों समंदर के नजदीक हैं इसलिए इन्हें पसंद किया गया है. दोनों स्क्रैप पार्क को वर्तमान वित्त वर्ष में शुरू करने की योजना है. गुजरात में कडी, कलोल, जामनगर जैसे शहरों में भी दूसरे प्रकार के स्क्रैप का काम होता है, जिसको अलंग और कच्छ के स्क्रैप पार्क से माल भेजा जा सकता है.
भावनगर में स्क्रैप पार्क का फायदाः
अलंग में शिप-ब्रेकिंग यार्ड मौजूद होने से वाहनों के स्क्रेप यार्ड को शुरु करने में आसानी हो सकती है. जहाज के तूटने के बाद जो कचरा और वेस्ट ऑयल निकलता है उसको रिसाइकल करने के लिए अलंग में आधुनिक प्लांट भी है, जो व्हीकल स्क्रैप यार्ड के काम आ सकता है. इसके अलावा यहां ट्रांसपोर्टेशन सुविधा अच्छी है. पानी और बिजली भी पर्याप्त मिलती है. अलंग में रोलिंग मिल्स हैं जो व्हीकल स्क्रैप यार्ड से नीकलने वाले कचरे का उपयोग कर सकती हैं.
विचार-विमर्शः
व्हीकल स्क्रैप यार्ड बनाने में किस तरह के मशीन की जरूरत पडेगी, कितनी लागत आएगी, यार्ड से पर्यावरण को कितना नुकसान होगा, ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा होगा, व्हीकल को तोड़ने के बाद जो कचरा निकलेगा उसे किस तरह से दूर किया जाएगा, किस तरह के कचरे को रिसाइकलिंग के लिए भेजना होगा ऐसे कई पहलूओं पर विचार-विमर्श चल रहा है.
स्क्रैप पॉलिसी क्या हैः
नई स्क्रैप पॉलिसी के मुताबिक, 15 और 20 साल पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप (कबाड़) कर दिया जाएगा. कमर्शियल गाड़ी जहां 15 साल बाद कबाड़ घोषित हो सकेगी, वहीं निजी गाड़ी के लिए यह समय 20 साल है. अगर सीधे शब्दों में कहें तो आपकी 20 साल पुरानी निजी कार को रद्दी माल की तरह कबाड़ी में बेच दिया जाएगा. वाहन मालिकों को तय समय बाद ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर ले जाना होगा. सरकार का दावा है कि स्क्रैपिंग पॉलिसी से वाहन मालिकों का न केवल आर्थिक नुकसान कम होगा, बल्कि उनके जीवन की सुरक्षा हो सकेगी. सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी होगी.
मिलेगा प्रोत्साहनः
केन्द्र सरकार के अलावा गुजरात सरकार भी वाहन को स्क्रैप में ले जाने पर बेनेफिट दे सकती है. यदि वाहन मालिक अपने वाहन को स्क्रैप करना चुनते हैं, तो मालिक को 4-6 फीसदी स्क्रैप मूल्य दिया जाएगा. साथ ही नया वाहन खरीदने पर रोड टैक्स में 25 फीसदी तक की छूट दी जाएगी. वाहन निर्माताओं को स्क्रैपिंग प्रमाणपत्र दिखाने वाले मालिकों को 5% की छूट देने की सलाह दी जाएगी. साथ ही स्क्रैप किए गए वाहन के बदले कुल लाभ लगभग 10-15 फीसदी होगा.