देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री तेजी से विकास कर रही है. यह न सिर्फ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पेश कर के तकनीकी बदलाव ला रही है, बल्कि वाहनों में कम्युनिकेशन और रीक्रिएशनल टेक्नॉलजी की मदद से पैसेंजर और ड्राइवर के लिए बेहतर सुविधाएं तैयार कर रही है. हालांकि, इन सबके बीच में एक पहलू है जिसे अब तक नजरअंदाज किया गया है. वह है, सेफ्टी फीचर.
किसी वाहन में एयर बैग सबसे जरूरी सेफ्टी एक्विपमेंट होते हैं. मगर यह फीचर व्हीकल की कीमत के हिसाब से मौजूद होता है. महंगे वाहनों में छह एयरबैग होते हैं, जिससे सभी पैसेंजर सुरक्षित रह सकते हैं. वहीं, देश में ऐसी कई गाड़ियां सड़कों पर दिखती हैं, जिनमें एक भी एयरबैग नहीं होता.
सस्ती कार खरीदने वालों को अपनी सुरक्षा से समझौता करना पड़ता है. इससे गलत मैसेज जाता है कि सस्ती व्हीकल्स खरीदने वालों की जान कम मायने रखती है. यह कुछ ऐसा हो गया कि मानो हवाई यात्रा कर रहे इकॉनमी क्लास के यात्रियों को बिजनेस क्लास वालों से कम सुरक्षा दी जाए.
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी व्हीकल्स में सुरक्षा के लिहाज से एयरबैग को अनिवार्य बनाने पर जोर दे रहे हैं. वह वाहन उत्पादकों से इसकी अपील कर चुके हैं. अगर उनके सुझाव को हकीकत का रूप दिया गया तो बाजार में अब तक दिए गए गलत संदेश में सुधार होगा. साथ ही, सुरक्षा जैसे अहम पहलुओं पर आगे से ढील नहीं दी जाएगी.
अच्छी बात यह है कि एयरबैग को अनिवार्य बनाने की पहल दिसंबर 2020 में हो चुकी है. मंत्रालय ने ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर के वाहन निर्माताओं को 1 अप्रैल, 2021, से सभी व्हीकल्स में एयरबैग लगाए जाने का निर्देश दिया था. कोरोना से कारोबार पर पड़े प्रभाव के चलते बाद में इस तारीख को आगे बढ़ाकर इस साल के अंत तक कर दिया गया.
कोई भी इंडस्ट्री सुरक्षा से जुड़े फीचर्स को अफोर्डेबिलिटी के आधार पर नहीं बांट सकती. ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी इसी सोच के साथ आगे बढ़ना होगा. कंपनियों को वेंडरों के साथ मिलकर इससे जुड़ी लागत को घटाने का रास्ता तलाशना चाहिए.
देश की ज्यादातर कार फिलहाल बिना एयरबैग वाली होने की वजह से फीचर के अनिवार्य होने पर बड़े स्तर पर गाड़ियों में बदलाव करने होंगे. थोक में काम करने से कॉस्ट घटाने में मदद मिलनी चाहिए. सभी उत्पादक ऐसे करने लगे तो ग्राहकों की पहुंच से कोई भी ब्रांड बाहर नहीं रह जाएगा. सबको समान मौके मिलेंगे, वह भी सुरक्षा के साथ.