मुंबई इस अनोखे रेस्टोरेंट को 180 महिलाएं कर रहीं मैनेज, जानिए क्या है इसकी खूबी

वसई और नाला सोपारा के कॉलेज, कैंटीन और अस्पताल कैफेटेरिया में इस रेस्टोरेंट की करीब 7 शाखाएं हैं, जिनमें करीब 180 महिलाएं काम करती हैं.

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FSSAI ने आदेश दिया है कि अब अक्टूबर से ही रेस्टोरेंट और मिठाई की दुकानों के साथ अन्य खाने-पीने से जुड़ी दुकानों को पहले तो FSSAI का रजिस्ट्रेशन कराना होगा

FSSAI ने आदेश दिया है कि अब अक्टूबर से ही रेस्टोरेंट और मिठाई की दुकानों के साथ अन्य खाने-पीने से जुड़ी दुकानों को पहले तो FSSAI का रजिस्ट्रेशन कराना होगा

आमतौर पर महिलाओं को परंपरागत रूप से रसोई संभालने के लिए जाना जाता है, लेकिन इसी रसोई को अब महिलाएं अपनी आजीविका के जरिए के तौर पर तब्दील कर रही हैं. इन दिनों मुंबई के बाहरी इलाके वसई में अपनी तरह का एक अनोखा रेस्टोरेंट खासा चर्चा में हैं.

दरअसल, यह रेस्टोरेंट पूरी तरह महिलाओं द्वारा संचालित और प्रबंधित है. इसमें काम करने वाली महिलाएं जो जरूरतमंद हैं और अपने परिवार को चलाने के लिए एक अच्छी नौकरी की तलाश में हैं, उनके लिए यह रेस्टोरेंट आजीविका का एक स्रोत है.

7 शाखाएं, 180 महिलाओं को आजीविका 

वसई और नाला सोपारा के कॉलेज, कैंटीन और अस्पताल कैफेटेरिया में इस रेस्टोरेंट की करीब 7 शाखाएं हैं, जिनमें करीब 180 महिलाएं काम करती हैं. दरअसल, पेशे से शिक्षिका इंदुमती बर्वे ने साल 1991 में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर श्रमिक महिला विकास संघ की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य अलग-अलग पृष्ठभूमि से आई महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना था.

ऐसे हुई शुरुआत

सबसे पहले इन महिलाओं ने पापड़ बनाने की पहल शुरू की. हालांकि, वित्तीय बाधाओं के कारण यह व्यवसाय नहीं चला तब संस्थापकों ने एक कैंटीन शुरू करने का फैसला लिया. कम संसाधनों में खाना पकाने का कार्य शुरू किया जा सकता है. यह सोचकर 7 महिलाओं ने 3,000 रुपये की राशि के साथ इस पहल की शुरुआत की और कम आय वर्ग के लोगों जैसे बस ड्राइवर, ऑटो रिक्शा चालक व कामकाजी और छात्रों के लिए खाना-बनाना और परोसना शुरू किया. केवल 12 से 15 महिलाएं रसोई में खाना बनाती हैं.

पूरा कारोबार महिलाओं के हाथ

पूरे रेस्टोरेंट का प्रबंधन महिलाओं द्वारा ही किया जाता है. फिर चाहे काउंटर मैनेज करना हो, कूपन सौंपना हो या फिर नकदी गिनना. ये महिलाएं हर दिन स्थानीय सब्जी बाजार में जाती हैं और अपने रेस्टोरेंट के लिए ताजा सब्जियां खरीदती हैं.

पॉकेट फ्रेंडली है ये रेस्तरां

ये रेस्टोरेंट के भोजन के विभिन्न विकल्पों के साथ पॉकेट फ्रेंडली भी है. लोग घर में पकाए गए हाइजेनिक भोजन के लिए रेस्टोरेंट आते हैं. कामकाजी महिलाएं और छात्र भी महिलाओं द्वारा प्यार से पकाए गए ताजा, स्वादिष्ट, गुणवत्तापरक और सस्ता भोजन का डिब्बा पाकर खुश होते हैं.

कम आय वर्ग के लोगों के लिए बनाती हैं खाना

दरअसल, श्रमिक महिला विकास संघ का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं है बल्कि समाज के हाशिये पर खड़े वर्गों की महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करना है और इसलिए इस काम में आसपास के लोगों का भी योगदान खूब मिल रहा है. वेतन के अलावा महिलाओं को उनके परिवार के लिए रियायती दरों पर भोजन, चाय और नाश्ता उनके ड्यूटी के घंटों और भोजन के दौरान मिलता है. महिलाओं को वेतन मिलता है और इस तरह उनका वित्तीय फैसलों पर नियंत्रण होता है.

महिलाओं को मिल रहा गौरवपूर्ण जीवन

सिर्फ इतना ही नहीं, ये महिलाएं भविष्य निधि, पेंशन बीमा पॉलिसी और शिक्षा के लिए धन स्वास्थ्य लाभ और अन्य मौद्रिक सहायता भी प्राप्त कर रही हैं. गणेश चतुर्थी, होली और दिवाली जैसे त्योहारों के दौरान रेस्तरां को बहुत सारे ऑर्डर मिलते हैं. महिलाएं तब ऑर्डर को पूरा करने और रेस्टोरेंट में नियमित रूप से काम करने में व्यस्त हो जाती हैं.

Published - June 6, 2021, 05:21 IST