भारत में जिस तेजी से EV क्रांति शुरू हुई थी अब उसी तेजी से अचानक ये पूरी कहानी पलटती दिख रही है. इलेक्ट्रिक स्कूटरों से उठती आग की लपटों ने जैसे इस क्रांति की ज्वाला में पानी डाल दिया है. लोग डरे हैं और सरकार के माथे पर पसीना है. EV कंपनियां क्लूलेस हैं. बिजली वाली गाड़ियों की सेफ्टी की तो जैसे बिजली ही कट गई है.
अब सरकार सख्ती के मूड में है और लोगों को EV के सेफ होने का भरोसा दिला रही है. 21 अप्रैल को परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने EV कंपनियों को सख्त चेतावनी दे डाली. उन्होंने कहा कि सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाई है.
इसकी रिपोर्ट के बाद EV बैटरियों और दूसरे सेफ्टी उपायों के लिए विस्तृत गाइडलाइंस आएंगी गडकरी ने कहा कि अगर कोई कंपनी नियमों का उल्लंघन करेगी तो उस पर भारी जुर्माने और दूसरी कार्रवाई की जाएगी.
कंपनियों को अपनी खराब गाड़ियों को रीकॉल करने के लिए भी कहा जाएगा. बीते दो हफ्तों में एक दर्जन से ज्यादा इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लगने की घटनाएं हुई हैं. इनमें जान-माल दोनों का नुकसान हुआ है.
ओला, प्योर ईवी, ओकीनावा और जितेंद्र ईवी जैसी कंपनियों के स्कूटरों में आग लगी है. ओकीनावा ने अपने 3,000 से ज्यादा स्कूटर रीकॉल कर लिए हैं. प्योर EV इंडिया ने भी 2,000 इलेक्ट्रिक स्कूटरों को रीकॉल किया है.सरकार का डर ये है कि इन घटनाओं से देश में ग्रीन एनर्जी की पूरी क्रांति को ही पलीता लग सकता है. दुपहिया गाड़ियों की बिक्री की बात करें तो 2020-21 में देश में कुल 1.512 करोड़ दुपहिया गाड़ियां बिकी थीं.2019 में ये आंकड़ा 2.1 करोड़ यूनिट था.
जहां एक आम टू-व्हीलर की बिक्री घट रही है, वहीं इलेक्ट्रिक गाड़ियां तेजी का फर्राटा भर रही हैं. सियाम के आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की बिक्री 132 फीसदी बढ़ी है.2021 में कुल 2,33,971 इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की बिक्री हुई है. 2020 में ये आंकड़ा 1,00,736 यूनिट था.
बिक्री के आंकड़ों से सरकार भी उत्साहित है और वो देश में EV की रफ्तार को आगे के हवाले होते नहीं देखना चाहती.यही वजह है कि सरकार के सबसे अहम थिंक टैंक नीति आयोग ने बैटरी स्वॉपिंग को लेकर ड्राफ्ट पॉलिसी भी जारी कर दी है. इस ड्राफ्ट में EV का पूरा ईकोसिस्टम, बैटरी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और बैटरी स्वॉप के तौर-तरीकों, तकनीकी और ऑपरेशनल स्टैंडर्ड, सब्सिडी और सेफ्टी के बारे में डिटेल्ड ब्योरा दिया गया है. इसी ड्राफ्ट के आधार पर सरकार बैटरी स्वॉपिंग पॉलिसी लाएगी.
इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग से सरकार के माथे पर पसीना आने की एक और वजह भी है. मसला नेट जीरो का है.नेट जीरो यानी जीरो कार्बन एमिशन का टारगेट.भारत ने पिछले साल ग्लास्गो समिट में 2070 तक नेट जीरो का टारगेट हासिल करने का वादा किया था.इससे पहले 2015 में पेरिस एग्रीमेंट में भारत ने 2030 तक जीडीपी की एमिशन इंटैंसिटी को 33-35 फीसदी तक घटाने पर सहमति जताई थी.COP26 में भारत ने इसे 45 फीसदी कर दिया.
भारत का वादा है कि 2030 तक वह उत्सर्जन को 1 अरब टन घटा देगा.जानना ये भी जरूरी है कि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कार्बन डाईऑक्साइड पैदा करने वाला देश है.इस लिस्ट में सबसे ऊपर चीन, यूएस और फिर ईयू आते हैं. लेकिन, अगर प्रति व्यक्ति उत्सर्जन का आंकड़ा देखें तो भारत बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले काफी पीछे नजर आता है. 2019 में भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन 1.9 टन था.इसके मुकाबले अमरीका में ये 15.5 टन और रूस में 12.5 टन था.
हालांकि, पर कैपिटा कम एमिशन की वजह भारत की बड़ी आबादी है. इसलिए ये ज्यादा खुश होने वाली बात नहीं है.तो खैर..वापस लौटते हैं…EV की कहानी पर.अब सरकार ने एमिशन को कम करने के जो बड़े टारगेट रखे हैं उन्हें पूरा करने का रास्ता EV से होकर जाता है. इसीलिए वो EV कंपनियों की गलतियां बर्दाश्त करने के मूड में कतई नहीं है. क्योंकि एक बार अगर लोगों में डर घर कर गया तो सरकार के सब टारगेट धरे रह जाएंगे.
खैर, देश में EV और ग्रीन एनर्जी की क्रांति आए ये जरूरी है लेकिन, उतना ही जरूरी ये है कि ये क्रांति रक्तरंजित न हो. क्योंकि सवाल लोगों की जिंदगियों का है और इसकी जिम्मेदारी क्रांति के घोड़े पर सवार सरकार और EV कंपनियों की है.