बासमती निर्यात पर सख्ती, सेला चावल एक्सपोर्ट पर लगा टैक्स

बासमती चावल के निर्यात के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य घोषित किया गया है

बासमती निर्यात पर सख्ती, सेला चावल एक्सपोर्ट पर लगा टैक्स

केंद्र सरकार ने देश से चावल के निर्यात पर सख्ती और बढ़ा दी है, बासमती चावल के निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त लागू की गई है और सेला चावल के एक्सपोर्ट पर टैक्स लगा दिया गया है. ये 2 तरह के चावल ही बचे थे जिनके एक्सपोर्ट पर किसी तरह की पाबंदी नहीं थी, लेकिन अब सरकार ने इन दोनो के निर्यात पर भी सख्ती कर दी है. बासमती चावल के निर्यात के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य घोषित किया गया है, इससे कम कीमत पर निर्यात की अनुमति नहीं होगी. यह फैसला 15 अक्टूबर तक लागू रहेगा, यानी मंडियों में नई फसल के धान की आवक के बाद ही फैसला वापस होगा. दूसरी तरफ सेला या Parboiled Rice के निर्यात पर 20 फीसद टैक्स लागू किया गया है.

पिछले साल देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में 35 फीस से ज्यादा हिस्सेदारी सेला या Parboiled Rice की थी. वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान देश से कुल 223 लाख टन चावल का एक्सपोर्ट हुआ था जिसमें 78 लाख टन से ज्यादा सेला चावल था. चावल निर्यात में बासमती चावल की भी बड़ी हिस्सेदारी है, वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान देश से 45.58 लाख टन बासमती चावल का एक्सपोर्ट हुआ था. लेकिन अब दोनों अब दोनों तरह के चावल के एक्सपोर्ट पर सख्ती बढ़ा दी गई है जिस वजह से चावल निर्यात तो प्रभावित होगा ही, साथ में वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें बढ़ जाएंगी. भारत से सेला चावल का अधिकतर एक्सपोर्ट अफ्रीकी देशों तथा बांग्लादेश को होता है, इसके अलावा खाड़ी देशों में भी सेला चावल का एक्सपोर्ट किया जाता है. बासमती चावल का अधिकतर एक्सपोर्ट खाड़ी के देशों और यूरोप में होता है.

बासमती और सेला चावल के निर्यात पर सख्ती से पहले भारत ने अन्य चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लागू किया हुआ है. सबसे पहले टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था, उसके बाद गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात भी रोक दिया गया. घरेलू स्तर पर अनाज की बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए भारत ने यह कदम उठाया है.

ऐसी संभावना है कि चावल निर्यात पर प्रतिबंध या सख्ती हटाने का फैसला इस साल की खरीफ फसल की स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाएगा. अभी तक धान का रकबा पिछले साल के मुकाबले बढ़ा हुआ है लेकिन अगस्त के दौरान बरसात की कमी की वजह से कुछ राज्यों में फसल की पैदावार प्रभावित होने की आशंका है. राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक ने कहा है कि समय पर बरसात नहीं हुई तो इस साल खरीफ चावल की पैदावार में करीब 5 फीसद की गिरावट आ सकती है. धान की अबतक हुई खेती की बात करें तो 25 अगस्त तक देशभर में 384 लाख हेक्टेयर में धान की खेती दर्ज की गई है जबकि पिछले साल इस दौरान 367 लाख हेक्टेयर में फसल लगी थी.

Published - August 26, 2023, 10:14 IST