सिक्किम सरकार ने अपने राज्य के सरकारी कर्मचारियों को खुशखबरी दी है. सिक्किम सरकार ने मातृत्व अवकाश को बढ़ाकर 1 साल कर दिया है. साथ ही सरकार ने पुरुषों को भी 1 महीने का पितृत्व अवकाश दिया है. सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग का मानना है कि इस फैसले से कर्मचारी अपने परिवार पर बेहतर ध्यान दे पाएंगे. सरकार जल्द ही इस संबध में नोटिफिकेशन जारी करेगी.
क्या है कानून?
मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के अनुसार, एक कामकाजी महिला 6 महीने या 26 हफ्ते का मातृत्व अवकाश ले सकती है. अवकाश को महिला को सामान्य की तरह सैलरी मिलती रहेगी. हालांकि समय-समय पर मैटरनिटी लीव को बढ़ाने की मांग उठती रही है. इस साल मई में नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा था कि भारत के सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में मातृत्व अवकाश को छह महीने से बढ़ाकर नौ महीने किया जाना चाहिए. फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन (एफएलओ) ने पॉल के हवाले से एक बयान में कहा था कि निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों को माताओं के मातृत्व अवकाश को मौजूदा छह महीने से बढ़ाकर नौ महीने करने के बारे में एक साथ बैठने की जरूरत है.
संशोधन के बाद बढ़ी छुट्टी
पहले महिलाओं को सिर्फ 12 हफ्ते की पेड लीव मिलती थी. लेकिन 2017 में मातृत्व लाभ विधेयक संशोधन के बाद इसे बढ़ाकर 26 हफ्ते किया गया. भारतीय मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 में यह प्रावधान है कि नई माताएं अपने पहले दो बच्चों के लिए छह महीने या 26 हफ्ते का सवैतनिक अवकाश लेने की हकदार हैं. हर अगले बच्चे के लिए, माँ तीन महीने या 12 हफ्ते की छुट्टी ले सकती है, जिसका पूरा भुगतान नियोक्ता करेगा.
किन पर होता है लागू?
ऐसे किसी भी संस्थान में जहां 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं वहां, मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 लागू होता है. मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के मुताबिक एक महिला को अपनी अनुमानित डिलिवरी डेट से पहले 12 महीनों में अपने नियोक्ता के साथ कम से कम 80 दिन काम करना चाहिए.