आजकल छोटी से छोटी चीज लिखने के लिए लोग नोटपैड का सहारा लेते हैं. दस्तावेजों से लेकर अहम जानकारी हर चीज इंटरनेट और फाइलों के जंजाल में उलझ गई है. मगर एक जमाने में पेन एक अहम हथियार हुआ करता था. पेन का नाम लेते ही सबकी जुबां पर रेनॉल्ड्स का ही नाम सबसे पहले आता था. अमेरिका की ये कंपनी देखते ही देखते भारत के दिल की धड़कन बन गई. इसने साल 1945 में देश में तहलका मचा दिया था. मगर 90s के दशक का पॉपुलर रेनॉल्ड्स 045 फाइन कार्ब्यूर बॉल पेन अब नहीं मिलेगा.
दरअसल “90s किड्स ” नामक एक लोकप्रिय ट्विटर अकाउंट ने एक पोस्ट करके कहा कि रेनॉल्ड्स प्रतिष्ठित बॉल पॉइंट पेन का निर्माण बंद कर रहा है. “रेनॉल्ड्स 045 फाइन कार्ब्यूर अब बाजार में उपलब्ध नहीं होगा, यह एक युग का अंत है..”
इस वजह से था लोगों का पसंदीदा ब्रांड
रेनॉल्ड्स के आगे प्रतिस्पर्धी कंपनियां घुटने टेकने लगीं. दूसरी कंपनियों के पेन जहां लीक होने और स्याही फैलने के चलते बाजार में पिटने लगे. तो वहीं रेनॉल्ड कंपनी के पेनों की ढेर सारी वैरायटी और वाजिम दाम में मिलने के चलते ये लोगों की पहली पसंद बन गई. पढ़ाई-लिखाई के साथ नौकरी में भी रेनॉल्ड्स के पेन का जमकर इस्तेमाल होता था. बाटा की तरह यह कंपनी भी भारत की न होते हुए भी देश की पहचान बन गई थी. मगर वक्त के साथ ये नामी कंपनी कब गुम हो गई पता ही नहीं चला. अब रेनॉल्ड्स पेन के पिछले कुछ बैच ऑनलाइन साइट पर ही उपलब्ध हैं.
महंगे पेन कंपनियों को भी देता था टक्कर
पार्कर, पायलट और मित्सुबिशी के पेन एक जमाने में काफी महंगे हुआ करते थे. ऐसे में हर भारतीय का इन्हें खरीद पाना मुमकिन नहीं था. इसी बीच रेनॉल्ड्स ने बाजार में कदम रखा. इसने लोकल पेन कंपनियाें समेत दिग्गज ब्रांडों को भी टक्कर दी. लोग क्लास नोट्स, होमवर्क, असाइनमेंट और परीक्षाओं के साथ खत लिखने, आवेदन भेजने, डायरियां आदि के लिए भी रेनॉल्ड्स पेन का ही इस्तेमाल करते थे. खासतौर पर 045 फाइन कार्ब्यूर पेन काफी पॉपुलर था, इसे सचिन तेंदुलकर का पेन भी कहा जाता था.