इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई फेम-2 योजना में गलत तरीके से सब्सिडी हासिल करने वालों के खिलाफ सरकार की सख्ती काम कर रही है. रिवोल्ट इंटेलिकॉर्प (Revolt Intellicorp) ने सरकार को ब्याज सहित 50.02 करोड़ रुपए की सब्सिडी राशि वापस कर दी है. यह 10,000 करोड़ रुपए की फेम-दो योजना (FAME-II scheme) के तहत चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम दिशानिर्देशों का कथित उल्लंघन करने की आरोपी सात कंपनियों में से एक है. फेम-दो हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने और विनिर्माण में तेजी लाने की योजना है.
भारी उद्योग मंत्रालय में संयुक्त सचिव हनीफ कुरैशी ने दावा की गई सब्सिडी राशि वापस किये जाने की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि मंत्रालय चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) मानदंडों का उल्लंघन करने वाली छह अन्य कंपनियों को कुछ सप्ताह और देगा. उन्होंने कहा कि कंपनियों का पक्ष सुनने के बाद नोटिस जारी किए गए हैं. लेकिन उन्हें कुछ और समय दिया जाएगा क्योंकि उनमें से कुछ का कहना है कि उन्होंने मानदंडों का उल्लंघन नहीं किया है. उन्हें अपने दावों के पक्ष में दस्तावेज जमा कराने होंगे.
रिवोल्ट इंटेलिकॉर्प के अलावा मानदंडों का उल्लंघन करने वाली छह अन्य कंपनियां हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा ऑटोटेक, एम्पियर व्हीकल्स (ग्रीव्स कॉटन), बेनलिंग इंडिया, एमो मोबिलिटी और लोहिया ऑटो हैं. कुरैशी ने कहा कि हम उन्हें कुछ सप्ताह और देंगे. यदि वे कुछ दस्तावेज प्रस्तुत करना चाहते हैं तो उन्हें अभी भी दो-तीन मौके दिए जाएंगे. अन्यथा, उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की जाएगी. इसके बाद वसूली प्रक्रिया भी शुरू होगी.
फेम-दो के तहत सात कंपनियों के गलत तरीके से दावा की गई सब्सिडी की राशि 469 करोड़ रुपए है. मंत्रालय ने ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) और इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (ICAT) से यह जांच करने के लिए कहा है कि क्या 13 कंपनियों द्वारा पीएमपी स्थानीयकरण दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है या नहीं. मंत्रालय को यह शिकायत मिली थी कि कंपनियां मानदंडों का उल्लंघन कर अपने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बड़े पैमाने पर उपकरणों का आयात कर रहे हैं.
परीक्षण एजेंसियों ने 13 कंपनियों की जांच की और इसमें से छह को ही दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए पाया गया. सात कंपनियां चीन से सस्ते उपकरणों का आयात कर नियमों का उल्लंघन करती पाई गईं.
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