दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में बढ़ते डिजिटलीकरण के बीच फिनटेक कंपनियों की बाढ़ सी आ गई है. ये कंपनियां चुटकी में लोन देकर लोगों का शोषण कर रही हैं. फिनटेक कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए अब भारतीय रिजर्व बैंक खुद अपना डिजिटल लोन प्लेटफॉर्म लेकर आ रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वंचित क्षेत्रों में कर्ज की निर्बाध पहुंच सुलभ कराने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के मकसद से एक सार्वजनिक टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म तैयार कर रहा है.
द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रिजर्व बैंक इन्नोवेशन हब (RBIH) आसान कर्ज उपलब्ध कराने के लिए सार्वजनिक टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म तैयार कर रहा है।
चल रहा है अभी परीक्षण
केंद्रीय बैंक ने RBIH के साथ मिलकर बैंकों और ग्राहकों के बीच डिजिटल प्रक्रियाओं के माध्यम से आसान कर्ज वितरण के लिए सितंबर, 2022 में पायलट परियोजना शुरू की थी. इसकी शुरुआत किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) ऋण के साथ की गई है. केसीसी कर्ज के लिए पायलट परियोजना वर्तमान में मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के चुनिंदा जिलों में चल रही है. हाल में गुजरात के चुनिंदा जिलों को डेयरी कर्ज के लिए इसमें शामिल किया गया है.
अच्छे परिणाम आए सामने
पायलट परियोजना से मिले बेहतर नतीजों के आधार पर डिजिटल कर्ज का दायरा बढ़ाया जा रहा है. इसके लिए आरबीआई अब सार्वजनिक टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म को विकसित कर रहा है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इस नए प्लेटफॉर्म को पायलट परियोजना के रूप में सोच-विचारकर शुरू करने की योजना है. इसमें खुला ढांचा और मुक्त एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) और मानक होंगे. जिससे वित्तीय क्षेत्र की सभी इकाइयां निर्बाध रूप से जुड़ सकेंगी. बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान ग्राहक के डिजिटल डेटा का विश्लेषण कर उन्हें तुरंत लोन दे सकेंगे.
गांव में भी मिलेगा लोन
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एपीआई एक सॉफ्टवेयर है, जो दो एप्लिकेशन को एक दूसरे से बात करने की अनुमति देता है. एपीआई इकाई के भीतर और विभिन्न इकाइयों के बीच आंकड़े प्राप्त करने और साझा करने का एक सुलभ तरीका है. उन्होंने कहा कि इस पहल से वंचित क्षेत्रों में ऋण की पहुंच में तेजी आएगी और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा.
डिजिटल लेंडिंग आएगी कानूनी दायरे में
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत ने तेजी से डिजिटलीकरण को अपनाया है, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की अवधारणा को बढ़ावा दिया है, जो फिनटेक स्टार्टअप और कंपनियों को भुगतान, क्रेडिट और अन्य वित्तीय सेवाओं के लिए अभिनव समाधान पेश कर रही हैं. डिजिटल क्रेडिट प्रावधान के दायरे में, आवश्यक क्रेडिट मूल्यांकन डाटा सरकारी निकायों, खाता एग्रीगेटर्स, बैंकों, क्रेडिट सूचना फर्मों और डिजिटल पहचान प्राधिकरणों जैसी विभिन्न संस्थाओं के भीतर रखे जाते हैं। हालांकि इस विभाजित प्रणाली के कारण, नियम-आधारित ऋण के सुचारू और समय पर प्रसार में बाधा उत्पन्न हो रही है. इसलिए एपीआई आधारित प्लेटफॉर्म से इन सभी समस्याओं का समाधान होगा और डिजिटल लेंडिंग को कानूनी दायरे में लाने में भी मदद मिलेगी.