टमाटर और तुअर दाल के बाद अब मसाले भी महंगे होने लगे हैं. पिछले कई महीनों से जीरा, हल्दी और धनिया जैसे प्रमुख मसालों की कीमतों में इजाफा हो रहा है. क्योंकि इस बार इन मसालों की बुवाई शुरू होने से पहले हुई बेमौसम बारिश से इनके उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है. घरेलू और निर्यात मांग मजबूत बनी रहने से मसालों की कीमतों को समर्थन मिल रहा है.
देश के कई क्षेत्रों में असमान्य बरसात की वजह से मसालों की बुआई समय से नहीं हो पाई. इसके अलावा भारत से मसालों का निर्यात भी बड़ी मात्रा में होता है. इन दो वजहों से घरेलू मांग प्रभावित हो रही है, लिहाजा पिछले कुछ महीनों में जीरा, हल्दी और धनिये की कीमतों में उछाल आया है. आने वाले त्योहारी सीजन में मसालों की मांग बढ़ने से कीमतों में और भी उछाल आने की संभावना जताई जा रही है. व्यापारियों का मानना है कि इस साल के अंत तक मसालों की कीमत ऊंची बनी रहेगी. मसालों की महंगाई से अब अगले साल नई फसल आने के बाद ही कुछ राहत मिलने की उम्मीद है.
रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची जीरे की खुदरा मुद्रास्फीति
इस साल जनवरी में मसालों की खुदरा महंगाई 21 फीसद के रिकॉर्ड स्तर पर थी. जून आते-आते कीमतों में हल्की नरमी आई और खुदरा महंगाई 19.19 फीसद पर आ गई. हालांकि मसालों की मंहगाई साल की शुरुआत से ही दहाई अंकों में बनी हुई है. बाजार को यह उम्मीद थी कि इस साल जीरे के उत्पादन में कमी आ सकती है इसलिए जीरे की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं. प्रमुख मंडी गुजरात के ऊंझा में जीरा की कीमतें 60 हजार रुपए प्रति क्विंटल पर हैं. एक साल पहले कीमत करीब 30,000 रुपए प्रति क्विंटल थीं. जीरा की कीमत दोगुना होने से जून महीने में जीरा की खुदरा मुद्रास्फीति रिकॉर्ड 74 फीसद पर पहुंच गई. व्यापारियों का अनुमान है कि नवंबर तक जीरा का भाव 70 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकता है. क्योंकि व्यापारियों और किसानों के पास इस साल पिछले साल की तुलना में कम स्टॉक है.
कितना महंगा हुआ धनिया?
पिछले कई हफ्तों के दौरान धनिया की कीमतों में भी तेज उछाल दर्ज किया गया है. अप्रैल महीने में खराब मौसम की वजह से धनिया की फसल को नुकसान पहुंचा है. इसकी वजह से इसका उत्पादन भी कम रहने की आशंका जताई जा रही है. बनासकांठा की दीसा मंडी में धनिया का मॉडल प्राइस शनिवार को 7,525 रुपए क्विंटल था. पिछले साल समान अवधि में धनिया का भाव 6,000 रुपए क्विंटल था.
दोगुनी हो गई हल्दी
अप्रैल-मई में बारिश के कारण बुआई में देरी होने और उत्पादन पर असर पड़ने की वजह से सिर्फ दो महीनों में हल्दी की कीमतें भी दोगुनी हो गई हैं. अप्रैल में हल्दी की कीमत 7,000 रुपये प्रति क्विंटल थीं लेकिन वर्तमान में महाराष्ट्र, तेलंगाना और तमिलनाडु में 14,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास हैं.
बदल सकता है उत्पादन का अनुमान
भारतीय मसाला बोर्ड ने अपने पहले अग्रिम अनुमान में 2022-23 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में हल्दी उत्पादन 11.6 लाख टन होने का अनुमान लगाया है, जो 2021-2022 के वास्तविक उत्पादन 12.2 लाख टन से 5 फीसद कम है. हालांकि बोर्ड ने अनुमान लगाया है कि 2022-23 में जीरा का उत्पादन लगभग 13 फीसद और धनिया का उत्पादन लगभग 15 फीसद ज्यादा होगा. हालांकि कुछ व्यापारियों का मानना है कि मसाला बोर्ड के अगले अनुमान में चालू फसल वर्ष में जीरा, हल्दी और धनिया के उत्पादन अनुमान को घटाया जा सकता है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर में मसालों की हिस्सेदारी 2.5 फीसदी है.