डेबिट या क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन लेन-देन के लिए कार्ड वेरीफिकेशन वैल्यू (CVV) बताना जरूरी होता है. लेकिन अब कार्डधारक इसके बिना भी लेन-देन कर सकते हैं. दरअसल मास्टरकार्ड ने चेकआउट समय को कम करने और ट्रांजेक्शन सुविधा को बेहतर बनाने के लिए नई सर्विस शुरू की है. जिसके तहत मास्टरकार्ड यूज करने वाले जिन डेबिट और क्रेडिट कार्डधारकों ने अपने कार्ड को मर्चेंट प्लेटफॉर्म पर टोकनाइज्ड किया है, उन्हें ऑनलाइन लेन-देन के लिए सीवीवी नंबर की जरूरत नहीं होगी.
मास्टरकार्ड ने दावा किया कि कैश फ्री पेमेंट्स और जोमैटो जैसी भारतीय कंपनियां पहले ही सीवीवी के बिना भुगतान की सुविधा दे रही है. इस साल की शुरुआत में, वीजा कार्ड ने भी उपयोगकर्ताओं को सीवीवी नंबर के बिना ऑनलाइन भुगतान करने की अनुमति देने के लिए एक सुविधा लॉन्च की थी. बाद में RuPay ने भी अपने डेबिट, क्रेडिट और प्रीपेड कार्डधारकों के लिए CVV मुक्त भुगतान की शुरुआत की.
क्या होता है सीवीवी नंबर?
सीवीवी डेबिट और क्रेडिट कार्ड के पीछे छपी तीन अंकों की संख्या होती है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के टोकनाइजेशन दिशानिर्देशों के अनुसार, जो व्यापारी टोकन भुगतान अपनाते हैं, वे कार्ड को टोकनाइज्ड कराते समय महज एक बार सीवीवी नंबर दर्ज करेंगे. इसके बाद उन्हें इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी. दूसरे लेनदेन के बाद से, कार्डधारकों को चेकआउट पेज से अपना टोकनयुक्त कार्ड चुनना होगा. उन्हें वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) की पुष्टि करनी होगी. ऐसा करते ही बिना सीवीवी दर्ज किए लेन-देन पूरा हो जाएगा.
आरबीआई लाई थी टोकनाइजेशन सिस्टम
कार्ड टोकनाइजेशन के लिए आरबीआई ने पिछले साल नए नियम लागू किए थे. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें वास्तविक कार्ड विवरण को एक वैकल्पिक कोड से बदल दिया जाता है, जिसे टोकन कहा जाता है. टोकनाइजेशन और कार्ड भंडारण के लिए केंद्रीय बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार, भुगतान एग्रीगेटर्स, व्यापारियों और भुगतान गेटवे को अपने पास संग्रहीत ग्राहकों के कार्ड डेटा को हटाना था.
कितना होता है कार्ड से भुगतान?
भारत में व्यापारी भुगतान में डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है. आंकड़ों के अनुसार 31 मई, 2022 तक लगभग 92 करोड़ डेबिट कार्ड जारी किए गए थे. वहीं मार्च 2023 तक ई-कॉमर्स में क्रेडिट कार्ड से 63% से अधिक खर्च हुआ.