बैंक एटीएम में होने वाले धोखाधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. हर महीने औसतन 2 हजार लोग ऐसी धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं. इस बात की जानकारी नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने दी है. वहीं एक संसदीय समिति ने बताया कि एटीएम और अन्य धोखाधड़ी की घटनाओं में 2021 की तुलना में साल 2022 में करीब 65 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि देखी गई है.
समिति के अध्यक्ष जयंत सिंह ने गुरुवार को संसद में साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और ऐसे अपराधों की बढ़ती घटनाओं की जानकारी दी. साथ ही इस दौरान साइबर सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए समिति ने एक सेंट्रलाइज्ड व्यापक नियामक प्राधिकरण की स्थापना की बात कही है. समिति ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की तर्ज पर साइबर सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की सिफारिश की. इस दौरान भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से इसमें खुद से मुआवजा प्रणाली तैयार करने पर भी जोर दिया गया.
2022 में ज्यादा बढ़े धोखाधड़ी के मामले
वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने बताया कि साल 2021 में एटीएम और अन्य धोखाधड़ी के मामले लगभग 10.80 लाख थे, इस दौरान करीब1,119 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया था. लिहाजा प्रत्येक 67,000 लेनदेन के लिए एक धोखाधड़ी की गई. साल 2022 में फ्रॉड की घटनाएं ज्यादा तेजी से बढ़ी है. पिछले साल 17.80 लाख फ्रॉड की घटनाएं सामने आई हैं. इसमें 2,113 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया.
इन 4 तरीकों के साइबर अपराध में इजाफा
विभाग के मुताबिक पिछले कुछ समय में साइबर अपराधों में चार तरीकों में इजाफा देखने को मिला है. इनमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों को पैसा पहुंचाने के लिए क्रिप्टो का इस्तेमाल, गलत पते वाले खातों का उपयोग करना, अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन सट्टेबाजी साइटों का उपयोग और उधार देने वाले ऐप्स और ऐप्स का उपयोग शामिल है.
बैंकिंग फ्रॉड पर रोक लगाने के लिए सिफारिश
बैंकिंग क्षेत्र में धोखाधड़ी की रोकथाम और पता लगाने के लिए, समिति ने एक केंद्रीय नेगेटिव रजिस्ट्री की स्थापना की सिफारिश की. इसमें कहा गया है कि यह वित्तीय संस्थान की एकमात्र जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह मजबूर व ठगी के शिकार ग्राहक को तुरंत मुआवजा दे, जब तक कि आगे की जांच न हो जाए और ठगी करने वाले का पता न चल जाए.