लॉकडाउन के ऐलान के बाद के एक साल में घरेलू एविएशन सेक्टर काफी रिकवर हुआ है. हालांकि, कई राज्यों के अपने यहां आने वाले यात्रियों के लिए टेस्टिंग और क्वारंटीन की कड़ी शर्तें लागू करने जैसी कोविड-19 महामारी की मुश्किलें अभी भी इस सेक्टर के लिए चुनौती हैं. हाल के वक्त में कोविड-19 की दूसरी लहर फैलती दिख रही है और बड़ी संख्या में संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं.
हालांकि, डोमेस्टिक मार्केट के उलट भारत से होेने वाली अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा के लिए रिकवरी की राह अभी ज्यादा लंबी है क्योंकि करीब 27 देशों को भारत से स्पेशल फ्लाइट्स एयर बबल अरेंजमेंट के तहत ही चल रही हैं.
मार्च से दिसंबर 2020 के दौरान देश में आने वाले अंतरराष्ट्रीय पैसेंजरों की संख्या 90.56 फीसदी गिरकर 18.55 लाख रही है. पिछले साल 22 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू का ऐलान किया था ताकि देश में कोरोना को फैलने से रोका जा सके. इसके अगले दिन से ही भारत ने शेड्यूल्ड इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर रोक लगा दी थी. दो दिन बाद देश पूर्ण लॉकडाउन में चला गया और इस तरह से डोमेस्टिक फ्लाइट्स पर भी रोक लगा दी गई.
ललॉकडाउन और महामारी से संबंधित पाबंदियों ने भारतीय एयरलाइंस पर बुरा असर डाला है. पिछले महीने नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में बताया था कि प्रमुख भारतीय शेड्यूल्ड कैरियर्स का रेवेन्यू अप्रैल से सितंबर 2019 के दौरान करीब 46,711 करोड़ रुपये था जो कि 2020 में इसी अवधि में गिरकर 11,810 करोड़ रुपये पर आ गया.
खुद को टिकाए रखने के लिए भारत की सभी प्रमुख एयरलाइंस ने पिछले एक साल में कई बड़े कदम उठाए हैं. इनमें कर्मचारियों की छंटनी, सैलरी में कटौती और कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेजने जैसे कदम शामिल रहे हैं.
भारतीय एयरलाइंस मौजूदा वक्त में कोविड से पहले के दौर के मुकाबले 70-75 फीसदी क्षमता पर काम कर रही हैं. सरकार ने डोमेस्टिक कैरियर्स को उनकी कोविड के पहले की डोमेस्टिक फ्लाइट्स के अधिकतम 80 फीसदी पर ही काम करने की इजाजत दी है. हाल-फिहाल में यह पाबंदी खत्म होती नहीं दिख रही है क्योंकि कोविड-19 का कहर अभी थम नहीं रहा है.
नागरिक उड्डयन मंत्री पुरी ने कुछ दिन पहले ट्विटर पर लिखा था, “पिछले कुछ दिनों में कई राज्यों में पाबंदियों और अनिवार्य RT-PCR टेस्ट को अनिवार्य किए जाने के चलते पैसेंजरों की संख्या में गिरावट आई है. इसके चलते हमने फैसला किया है कि हम फ्लाइट्स की संख्या को 80 फीसदी पर ही सीमित रखेंगे.”
मिसाल के तौर पर, राजस्थान ने रविवार को ऐलान किया है कि 25 मार्च से राज्य में आने वाले सभी पैसेंजर्स को कोविड नेगेटिव रिपोर्ट लानी होगी जो कि यात्रा से 72 घंटे से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए.