SEBI के मुताबिक, Peak Margin रूल को 4 चरणों में लागू किया जाना था. 1 जून से तीसरे चरण में ट्रेडर्स के लिए 75% पीक मार्जिन ब्रोकर के पास रखना जरूरी हो गया है.
1990 में सेंसेक्स 1,000 के लेवल पर था जो कि अब बढ़कर 50,000 पर पहुंच गया है और इस तरह से इसमें 14.9% की CAGR से तेजी आई है.
पोर्टफोलियो के मूल स्वरूप को हासिल करने के लिए एसेट एलोकेशन में बदलाव लाने की रीबैलेंसिंग एक्सरसाइज को Portfolio Adjustment कहते हैं.
बॉन्ड में ट्रेडिंग करते समय आपको लिक्विडिटी, क्रेडिट रेटिंग, बॉन्ड यील्ड जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को समझना जरूरी है.
इक्विटी आधारित स्कीमों में इन फंड्स को सबसे सुरक्षित माना जाता है. डेट फंड्स के मुकाबले इनमें ज्यादा बढ़िया टैक्स बेनेफिट्स भी मिलते हैं.
सामान्य Monsoon ग्रामीण भारत के लिए बेहद जरूरी है जो कि कृषि पर निर्भर है. भारत में 58 फीसदी रोजगार कृषि और इससे जुड़े सेक्टर से आता है.
फाइनेंशियल इनफ्लूएंशर्स और इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स मार्केट से ज्यादा रिटर्न के लिए स्मॉलकेस (Smallcase) में इनवेस्टमेंट की वकालत कर रहे हैं.
कोविड के कहर के बावजूद इस साल अप्रैल तक मर्जर एंड एक्वीजिशन यानी M&A के सौदों में भी 8 फीसदी का उछाल आया है.
TCS का मार्केट कैपिटलाइजेशन (M-Cap) पिछले सप्ताह 34,623.12 करोड़ रुपये उछलकर 11,58,542.89 करोड़ रुपये पहुंच गया.
Retail Investors: भारतीयों को आमतौर पर रूढ़िवादी और जोखिम से बचने वाले निवेशक के तौर देखा जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में धारणा टूटी है.