अपने लक्ष्य, आवश्यकता, रिस्क जैसे पहलू को ध्यान में रखकर डेट म्यूचुअल फंड का चयन करना चाहिए और कम से कम औसत मैच्योरिटी तक निवेश करना चाहिए.
Portfolio: कोर पोर्टफोलियो लॉन्ग टर्म के लिए स्थिरता जबकि सेटेलाइट पोर्टफोलियो अतिरिक्त रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न प्रदान करता है.
Inflation: भविष्य की चुनौतियों का सामना करने को कई फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में निवेश करने की जरूरत है, जिनमें से एक कठिन चुनौती है इन्फ्लेशन.
राज्यों को राजस्व गिरावट का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन वे सुधारों को लागू करते हैं तो 1.77 लाख करोड़ रुपए उपलब्ध हो सकता है.
सरकार की ओर से हाल में जारी आंकड़ों में खुदरा महंगाई दर भी छह महीने के उच्च स्तर 6.3% पर दर्ज़ की गई थी.
financial advice: वित्तीय सलाह लेने के लिए RIA के पास जाना ही सही विकल्प है. सलाह को मानना, न मानना आप पर निर्भर है.
ELSS: बेहतर ELSS म्यूचुअल फंड चुनने से पहले मूल्यांकन करना चाहिए. जैसे फंड का रिटर्न कितना है, उसका एक्स्पेंस रेशियो कितना है.
यदि आप NCD खरीदते हैं तो इसका मतलब है कि आप कंपनी को पैसे उधार देते हैं, बदले में कंपनी आपको ब्याज देती है और मैच्योरिटी पर मूलधन लौटाती है.
investment: लंबे समय तक निवेश करने के लिए काफी धैर्य की जरूरत होती है. आपको अपने निवेश सलाहकारों के साथ चर्चा करनी चाहिए.
Loan Guarantor: लोन का गारंटर उस शख्स को कहा जाता है, जिसपर कर्जदार के कर्ज नहीं चुकाने की हालत में कर्ज चुकाने की कानूनी जिम्मेदारी होती है.