कई कंपनियों को हाल ही में उनके बोर्ड से नॉन-कंवर्टिबल डिबेंचर (NCD) इश्यू करने की अनुमति मिली है. टाटा मोटर्स 500 करोड़ रुपये, टाटा पावर 570 करोड़ रुपये, पिरामल एंटरप्राइज 1,000 करोड़ रुपये, महिंद्रा फाइनेंस 225 करोड़ रुपये का और इंडिया इंफोलाइन 1,000 करोड़ रुपये का NCD लॉन्च करने की तैयारी में है. IPO की तरह ऐसे इश्यू में भी निवेश किया जा सकता है. यदि आप NCD खरीदते हैं तो इसका मतलब है कि आप कंपनी को पैसे उधार देते हैं, जिसके बदले में कंपनी आपको ब्याज देती है और अवधि समाप्त होने पर मूलधन वापस करती है.
2020 में 21 NCD के जरिए कंपनियों ने पैसे जुटाए थे, वहीं 2021 में मई तक ही 15 से भी ज्यादा कंपनियों के NCD लॉन्च हो चुके हैं. IIFL का NCD इश्यू 6 जुलाई को खुल रहा है, इसमें 10.03% यील्ड की ऑफर दी गई है. आप कम से कम 10,000 रुपये का एक डिबेंचर खरीद सकते है. आखिर ये NCD क्या होते हैं और इसमें किसे निवेश करना चाहिए ये समझते हैं.
NCD क्या है?
NCD या नॉन-कंवर्टिबल डिबेंचर बैंक FD की तरह एक डेट इंस्ट्रूमेंट है, जिसके जरिए कंपनियां पैसा जुटाती है. NCD एक तय अवधि के लिए होता है और तय दर से ब्याज दिया जाता है. मैच्योरिटी पर निवेशकों को ब्याज के साथ अपनी मूल रकम वापस मिलती है.
सिक्योर्ड और अन-सिक्योर्ड NCD
NCD दो तरह की होती हैं. सिक्योर्ड और अन-सिक्योर्ड. सिक्योर्ड NCD में कंपनी के डिफॉल्ट होने का खतरा नहीं होता है. इसमें कंपनी की सिक्योरिटी होती है, जिसे बेचकर पैसा वसूल किया जाता है. अनसिक्योर्ड NCD में सिक्योरिटी नहीं होती है. लिहाजा सिक्योर्ड की तुलना में इसमें जोखिम होता है.
कब मिलता है ब्याज
मैच्योरिटी पर कंपनी निवेशकों को निवेश की मूल रकम के साथ ब्याज लौटाती है. वैसे, कंपनी ब्याज का भुगतान मासिक, तिमाही और सालाना आधार पर कर सकती है. अगर आप ब्याज नहीं लेते हैं तो मैच्योरिटी पर मूल और ब्याज के साथ आपका पैसा मिलता है.
NCD कैसे खरीदें और बेचें
आप फिजिकल फॉर्म और डीमैट अकाउंट दोनों के जरिए NCD खरीद सकते हैं और शेयर मार्केट या डायरेक्ट ट्रांसफर के जरिए बेच भी सकते है. शेयर मार्केट में बेचने के लिए आपको अपने डिबेंचर को पहले डीमैट में बदलना पड़ता है, फिर शेयर ब्रोकर को बताना होगा कि आप उन्हें बेचना चाहते हैं. शेयर ब्रोकर आपके लिए खरीदार तलाशता है. डायरेक्ट ट्रांसफर में आपको खुद खरीदार तलाशना होता है. इसकी जानकारी कंपनी को देनी होती है.
एक्सपर्ट की राय
SEBI-रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर केतन शाह बताते हैं, “जिस कंपनी ने NCD इश्यू किया है उनकी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी, प्रमोटर या मालिक का ट्रैक रिकॉर्ड, एसेट क्वॉलिटी, प्रॉफिटेबिलिटी और क्रेडिट रेटिंग जैसी चीजें ध्यान में लेनी चाहिए.”
जितने भी NCD ज्यादा रिटर्न का दावा करते हैं उनमें रिस्क भी ज्यादा होता है. निवेशक को केवल उच्च रेटिंग वाले NCD ही पसंद करने चाहिए. NCD को पसंद करने से पहले उनकी क्रेडिट क्वालिटी और सरकारी सिक्योरिटीज के ऊपर कितना स्प्रेड है ये चेक करना चाहिए.
NCD में कितना निवेश करें
ऐसा एक्सपर्ट मानते हैं कि किसी भी निवेशक को अच्छी क्वालिटी के NCD में निवेश करना चाहिए और अपने डेट पोर्टफोलियो का 20% एलोकेशन ऐसे NCD में करना चाहिए. NCD की लिस्टिंग BSE और NSE पर होने के बाद लिक्विडिटी की समस्या कम हो जाती है. बैंक FD के मुकाबले 1-3% ज्यादा रिटर्न कमाने के लिए NCD में निवेश कर सकते हैं.
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