सरकार के मुताबिक औसत से कम बारिश के चलते इस बार चावल की पैदावार कम रहेगी
वर्तमान में गैर-बासमती सफेद चावल की सभी किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंध है.
लाल सागर और भूमध्य सागर को हिंद महासागर से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य के आसपास की स्थिति खराब हो गई है.
एफसीआई इस साल अब तक ओएमएसएस के तहत केवल 3.04 लाख टन चावल ही बेच पाई है.
ग्लोबल मार्केट में चावल की सप्लाई अभी कम है जबकि मांग उससे ज्यादा बनी हुई है.
केंद्र सरकार ने मार्च 2024 तक ओएमएसएस के लिए 101.5 लाख टन गेहूं आवंटित किया है.
सरकार को अगले कुछ महीनों में चावल की खरीद में हुई कमी की भरपाई का भरोसा है.
कई जगहों से इस तरह की रिपोर्ट्स आ रही हैं कि चावल की थोक और रिटेल कीमतों में भारी अंतर है और व्यापारी इसका लाभ उठा रहे हैं.
विश्लेषकों और निर्यातकों के मुताबिक अगले साल चुनावों तक चावल के निर्यात पर अंकुश लगा रह सकता है
DGFT ने एक अधिसूचना में कहा कि राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) के माध्यम से निर्यात की अनुमति दी गई है