सऊदी अरब के उत्पादन में कटौती की घोषणा से कच्चे तेल में तेजी.
जेट फ्यूल (ATF) के दामों में भी हुई बड़ी कटौती
देश में IOC, BPCL और HPCL सहित सार्वजनिक क्षेत्र की तीन कंपनियां हैं जो 90% ईंधन की मांग पूरी करती हैं.
वर्तमान में मुनाफा नहीं होने के चलते 50 फीसदी से ज्यादा तेल इकाइयां या तो बंद हो गई है या फिर अपनी क्षमता का केवल 40 फीसदी ही उत्पादन कर पा रही हैं.
पहले से खाने का तेल किचन का बजट बिगाड़ रहा है और अब इसके और महंगा होने की आशंका बढ़ गई है. भारत में खाने के तेल की बड़ी जरूरत को पूरा करने वाले
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कच्चे तेल के उत्पादन में जो ताकत अरब देशों के पास संयुक्त तौर पर है वह गैस में वह अकेले रुस के पास है.
सीमित ग्लोबल सप्लाई की वजह से खाने का तेल पहले ही महंगा है और अब रूस-यूक्रेन युद्ध ने आग में घी का काम कर दिया.
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कच्चे तेल की भारतीय बास्केट की औसत कीमत 82.11 डॉलर प्रति बैरल रही है, जो पिछले पांच साल की सबसे अधिक कीमत है.