कच्चे तेल के बड़े निर्यातक देश सऊदी अरब ने जुलाई से क्रूड ऑयल के रोजाना के उत्पादन में 10 लाख बैरल कटौती का फैसला किया है. रविवार को तेल उत्पादक देशों के संगठन OPEC प्लस की बैठक के बाद सऊदी अरब ने तेल उत्पादन घटाने की घोषणा की है. लंबे समय से कच्चे तेल के भाव पर दबाव बना हुआ है. सऊदी अरब का मकसद तेल की कीमतों को ऊपर उठाना है. इस वजह से सऊदी अरब ने तेल उत्पादन घटाने का निर्णय लिया है. इससे कच्चे तेल के भाव में तेजी आने के आसार हैं. अगर क्रूड के भाव में ज्यादा तेजी आती है तो इससे पेट्रोल और डीजल के भाव में वृद्धि देखी जा सकती है.
कच्चे तेल की कीमतों में तेजी
सऊदी अरब के इस फैसले के बाद विदेशी बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देखी जा रही है. ब्रेंट क्रूड का भाव 78 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर पहुंच गया जो पांच हफ्ते का ऊपरी स्तर है. महंगाई को कम करने के लिए अलग-अलग देशों के केंद्रीय बैंक लगातार ब्याज दरों में इजाफा कर रहे है. इससे अर्थव्यवस्था में सुस्ती आनी शुरू हो गई है. इसका असर कच्चे तेल की मांग पर भी पड़ रहा था. मांग में कमी आने की वजह से कच्चे तेल की कीमतें गिर रही थी. इन कीमतों को सहारा देने के लिए सउदी अरब ने उत्पादन कम करने का फैसला लिया, जिससे मांग और आपूर्ति को नियंत्रित किया जा सके.
हालांकि सउदी अरब के इस फैसले के बाद भी तेल की कीमतों में बहुत ज्यादा उछाल देखने को नहीं मिला. क्योंकि कयास लगाए जा रहे हैं कि कच्चे तेल की मांग में बहुत ज्यादा उछाल नहीं आएगा. इस वजह से सप्लाई में कटौती के निर्णय के बाद भी कच्चे तेल के दाम में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है. केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक WTI क्रूड का भाव 75 प्रति बैरल तक पहुंच कर रेंज में ट्रेड करता हुआ नजर आ सकता है. कीमतों में बहुत ज्यादा उछाल न आने का कारण रूस भी है. रूस लगातार कम कीमतों पर कई देशों में कच्चे तेल की आपूर्ति कर रहा है. इसलिए अकेले सउदी अरब के उत्पादन घटाने की वजह से कीमतों में ज्यादा उछाल नहीं आया है.