लोग लॉकडाउन में थे और उन्होंने इलाज को स्थगित कर रखा था. आपात चिकित्सा के मामलों में कोई फर्क नहीं आया था.
अपने फाउंडेशन डे से पहले, इंश्योरेंस कंपनी अवीवा ने क्लेम के लिए आए अजीब दावों के बारे में बताया है. कोरोना काल में कंपनी के पास आए हैं अजीब क्लेम.
इरडा के मुताबिक, साइबर इंश्योरेंस का दायरा बढ़ाया जाएगा. इसमें कंपनियां साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी को सरल बनाएगी.
लाइफ इंश्योरेंस कंपनी डॉक्यूमेंट मिलने की तारीख से 30 दिनों के भीतर क्लेम का भुगतान करती है. ऐसा न करने पर कंपनी को अमाउंट पर ज्यादा ब्याज देना होगा
अगर कोई कार मालिक कार में चाबी छोड़ता है और उस दौरान चोरी हो जाती है, तो चोरी को व्यक्ति की लापरवाही के रूप में देखा जाता है.
इंडियन एविडेंट एक्ट के सेक्शन 108 के अनुसार, किसी व्यक्ति के गायब होने के बारे में दर्ज एफआईआर के सात साल बाद उसे मृत मान लिया जाता है.
हर कंपनी को पॉलिसी के लिए कागजी कार्यवाही करनी होती है. कोई दूसरा गलत फायदा न उठा ले. इसलिए इंश्योरेंस कंपनियां अतिरिक्त सावधानी बरतती हैं.
कोरोना महामारी के चलते बीमा क्लेम करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा हुई है. वहीं क्लेम खारिज या आंशिक भुगतान के मामले भी काफी सामने आ रहे हैं.
ऐसी पॉलिसियों का प्रीमियम खरीदी गई पॉलिसी के प्रकार, पॉलिसी की अवधि और बीमा राशि पर निर्भर करता है.
बीमा कवर में जिन सामानों के पैसे मरीज को खुद चुकाने पड़े उनमें ग्लव्स, सैनेटाइजर और पीपीई किट्स शामिल थीं.