इंश्योरेंस कंपनी के प्रमुख कामों में से एक, ग्राहकों के क्लेम का जल्द से जल्द निपटारा करना है. ग्राहक इंश्योरेंस पॉलिसी इसलिए खरीदते हैं ताकि पॉलिसी होल्डर की मृत्यु के बाद परिवार को आर्थिक सहायता मिल सके. इसलिए, इंश्योरेंस कंपनियों की यह जिम्मेदारी है कि क्लेम करने वाले पॉलिसी होल्डर्स को किसी भी तरह की समस्या ना हो. आमतौर पर, इंश्योरेंस क्लेम का निपटारा डॉक्यूमेंट मिलने के 7 दिनों के भीतर किया जाता है. लेकिन, अगर इंश्योरेंस कंपनी आपके क्लेम को निपटाने में ज्यादा समय लेती है, तो इसके लिए एक समय सीमा तय है, जिसका पालन करना इंश्योरेंस कंपनियों के लिए जरूरी है.
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से दो स्थितियों में क्लेम किया जा सकता है पहला सर्वाइवल और दूसरा मृत्यु. डेथ क्लेम केवल पॉलिसी होल्डर या बीमित व्यक्ति की मृत्यु होने पर ही किया जाता है. सर्वाइवल क्लेम मनी बैक पॉलिसियों पर लागू होता है. इसमें एक अंतराल पर बीमित रकम के एक हिस्से का भुगतान किया जाता है. मनी बैक बेनिफिट के भुगतान को सर्वाइवल क्लेम या सर्वाइवल बेनिफिट कहा जाता है.
क्लेम प्रक्रिया के लिए नॉमिनी को जितनी जल्दी हो सके, इंश्योरेंस कंपनी को लिखित सूचना भेजनी चाहिए. क्लेम की सूचना में सभी जरूरी जानकारियां शामिल होनी चाहिए जैसे कि बीमित व्यक्ति का नाम, मृत्यु की तारीख, मृत्यु का कारण, पॉलिसी नंबर और दावेदार का नाम.
लाइफ इंश्योरेंस कंपनी क्लेम मिलने के 15 दिनों की अवधि के भीतर अपने सवाल भेजती है.
लाइफ इंश्योरेंस कंपनी सभी जरूरी डॉक्यूमेंट मिलने की तारीख से 30 दिनों के भीतर क्लेम का भुगतान या जरूरी पूछताछ करती है.
अगर मामला जांच के योग्य है, तो इसे क्लेम दायर करने के समय से 6 महीने के भीतर पूरा करना होगा.
देरी की स्थिति में लाइफ इंश्योरेंस कंपनी उस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में प्रचलित बैंक दर से 2% ज्यादा दर पर क्लेम अमाउंट पर ब्याज का भुगतान करती है.
डेथ क्लेम के मामले में बीमा कंपनी ये सभी दस्तावेज मांगती है
क्लेम फॉर्म
डेथ सर्टिफिकेट
पॉलिसी डॉक्यूमेंट
पॉलिसी होल्डर के उम्र का प्रमाण पत्र
मेडिकल सर्टिफिकेट (मृत्यु के कारण का सबूत)
पुलिस FIR (अस्वाभाविक मृत्यु की स्थिति में)
अस्पताल के रिकॉर्ड्स या सर्टिफिकेट (अस्वाभाविक मृत्यु की स्थिति में)
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