कोरोना संकट के दौर में डिजिटल लेनदेन में इजाफा होने के साथ ही ऑनलाइन धोखाधड़ी में भी तेजी आई है. इसे देखते हुए बीमा नियामक इरडा ने आम लोगों को ऐसी धोखाधड़ी से हुए नुकसान से बचाने के लिए व्यक्तिगत साइबर इंश्योरेंस के नियम जारी किए हैं. इसके लिए इरडा ने कंपनियों से साफ-साफ कहा है कि उन्हें अपने प्रोडक्ट में क्या-क्या शामिल करना होगा.
IRDAI के साइबर इंश्योरेंस पर नए निर्देश
8 सितंबर को IRDAI के सर्कुलर के मुताबिक, इंडिविजुअल साइबर इंश्योरेंस के लिए कुछ नियम होंगे, जैसे फंड का चोरी होना, आइडेंटिटी का चोरी होना, सोशल मीडिया डेटा का चोरी होना, साइबर स्टॉकिंग/बुलिंग, मैलवेयर कवर, फिशिंग कवर, अन-ऑथराइज्ड ऑनलाइन ट्रांजैक्शन, ईमेल स्पूफिंग, मीडिया लाएबिलिटी क्लेम, साइबर एक्सटॉर्शन, डेटा ब्रीचिंग और प्राइवेसी ब्रीचिंग को इसमें कवर करना जरूरी होगा.
इरडा के मुताबिक, साइबर इंश्योरेंस का दायरा बढ़ाया जाएगा. इसमें कंपनियां साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी को सरल बनाएगी.नेशनल साइबर सिक्यॉरिटी एजेंसी CERT-In (कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम ऑफ इंडिया) के मुताबिक, कोरोना काल में इंडिविजुअल नेटवर्क पर ज्यादा साइबर अटैक हो रहे हैं. लोग घरों पर काम कर रहे हैं ऐसे में साइबर फ्रॉड पर्सनल कंप्यूटर और नेटवर्क को निशाना बना रहे हैं.
नुकसान के आधार पर चार प्रमुख कैटिगरी
फर्स्ट पार्टी नुकसान:
वित्तीय नुकसान, बिजनेस में खलल से होने वाला नुकसान
रेगुलेटरी एक्शन:
रेगुलेटरी जांच और एक्शन का खर्च, पेनल्टी और बाकी कानूनी खर्च
क्राइसिस मैनेजमेंट की लागत:
फॉरेंसिक एक्सपर्ट का कवर, रेपुटेशन का नुकसान खर्च, सूचना को हटाने का खर्च, काउंसलिंग का खर्च
लायबिलिटी क्लेम:
गोपनीयता या डेटा उल्लंघन, मानहानि, IPR के उल्लंघन का नुकसान
क्लेम कब रिजेक्ट हो सकता है?
IRDAI के सर्कुलर में साइबर इंश्योरेंस के प्रति इंडिविजुअल की लाएबिलिटी को भी निश्चित किया गया है. इसमें यह बताया गया है कि कंपनी कब क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है. इसके मुताबिक, साइबर फ्रॉड होने के 24 घंटे के भीतर कार्ड ब्लॉक नहीं करवाने पर क्लेम रिजेक्ट हो जाएगा. इसके अलावा, बैंक से SMS और OTP के लिए रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी नहीं देने पर आपका साइबर इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.
पासर्वड की जानकारी पर कोई मुआवजा नहीं
बीमा नियामक ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि उपभोक्ता किसी से ऑनलाइन लेनदेन का पासर्वड या अन्य जानकारी साझा करता है जिसकी वजह से धेखाधड़ी होती है तो बैंक को उसकी जानकारी देने तक नुकसान की पूरी जिम्मेदारी उपभोक्ता की होगी. बैंक को सूचना देने के बाद हुए नुकसान की भरपाई बैंक की होगी. इसके अलावा यदि तीसरे पक्ष की वजह से धोखाधड़ी होती है और उपभोक्ता तीन दिन बाद बैंक को सूचना देता है तो पांच हजार रुपये से 25 हजार रुपये तक नुकसान की भरपाई जिसमें जो भी कम हो उपभोक्ता करेगा.
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