इस स्कीम के जरिए भारतीय निवेशक नए उभरते सेक्टर की कंपनियों में निवेश कर पाएंगे जो भारत में मौजूद नहीं है जैसे कि रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस.
भारतीय फाइनेंशियल मार्केट में पैसिव इंवेस्टिंग के जरिये काफी निवेश हुआ है, ये निवेश आगे भी जारी रहने वाला है.
ETF के साथ लिक्विडिटी एक चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि उन्हें केवल एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जा सकता है.
Foreign Stocks Investment: विदेशी स्टॉक्स में निवेश करने से कमाई के मौके बढ़ जाते हैं. एक बाजार की कमजोरी के दौरान दूसरे की मजबूती का लाभ मिल सकता है
एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की मौजूद डीमैट एकाउंट की तुलना में दो तिहाई नए डीमैट एकाउंट खुले और इनमें अधिकतर युवा है जिनकी आयु 22 से 36 वर्ष के बीच है.
मनी9 हेल्पलाइन ने सेक्टर आधारित ETF से संबंधित प्रश्नों को हल करने के लिए फिनसेफ के संस्थापक मृण अग्रवाल से बातचीत की.
ईटीएफ में निवेश करने वालों की संख्या में कई गुना का इजाफा हुआ है. निवेशक अब ईटीएफ के फायदे को समझने और स्वीकरने लगे हैं.
नए निवेशक हों या पुराने, सभी को टार्गेट, रिस्क और उम्र को ध्यान में रखते हुए पोर्टफोलियो बैलेंस करना चाहिए, जिसमें पैसिव फंड काम आ सकते हैं.
सर्टिफाइड फाइनेंशियल एडवाइजर बिरजु आचार्य कहते हैं कि अगर आपको पैसे की शॉर्ट टर्म में जरूरत नहीं है, तो ये अच्छा फंड है.
ETF में कुछ ऐसी खूबियां हैं जो कि MF की दूसरी कैटेगरीज में निवेशकों को नहीं मिलती हैं, लेकिन इसमें किसी फंड मैनेजर का कोई दखल नहीं होता है.