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नए हों या मंझे हुए निवेशक, पैसिव फंड के बिना मुश्किल होगा पोर्टफोलियो का बैलेंस

नए निवेशक हों या पुराने, सभी को टार्गेट, रिस्क और उम्र को ध्यान में रखते हुए पोर्टफोलियो बैलेंस करना चाहिए, जिसमें पैसिव फंड काम आ सकते हैं.

  • Team Money9
  • Last Updated : July 22, 2021, 17:14 IST
image: pixabay: एसेट एलोकेशन आपके पैसे को बेहतरीन तरीके से काम करने की एक प्रक्रिया है. शब्द "एसेट एलोकेशन फंड" एक ऐसे फंड को दर्शाता है, जो कई प्रकार के एसेट टाइप्स में निवेश करते हैं.
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Passive Fund: चाहे आप 20-25 साल के यंग इंवेस्टर हो या 20-25 साल से निवेश कर रहे मंझे हुए खिलाडी, आपका पोर्टफोलियो बैलेंस रखना अनिवार्य है. एक बैलेंस पोर्टफोलियो आपको कइ तरह के जोखिम से बचाके रखता है. एक निवेशक के रूप में, आपको हमेशा ऐसी रणनीति बनानी चाहिए जो आपकी आवश्यकताओं और जोखिम लेने की क्षमता के बीच बैलेंस बनाके रखें. इसके लिए आप स्टॉक, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, हेज फंड, रियल एस्टेट, गोल्ड में निवेश कर सकते है.

यदि म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो की बात करें तो इसमें इक्विटी, डेट का तालमेल होना आवश्यक है. “निवेशक को अपनी उम्र, जोखिम लेने की क्षमता, लक्ष्य जैसे कइ पहलू पर विचार करने के बाद फंड का चयन करना चाहिए. म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में स्कीम को पसंद करने के साथ साथ एसेट अलोकेशन और रिबैलेंसिंग का भी बेहत महत्व है. आपको एड्वाइजर की सलाह लेकर अच्छा पोर्टफोलियो बनाना चाहिए,” ऐसा AMFI-रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्युटर परेश नायक बताते है.

नायक के मुताबिक, आपके पोर्टफोलियो में पेसिव फंड (ETFs या इंडेक्स फंड) का होना जरूरी है, जो आपको कम लागत पर अच्छा रिटर्न दिलवा सकता है और पोर्टफोलियो का बैलेंस बनाने में भी मदद कर सकता है.

नए निवेशकः मान लीजिए, आप निवेश का सफर शुरु करना चाहते है. आपके पास बैंक FD और सेविंग बैंक अकाउंट में कुछ कैश के अलावा कुछ नहीं है. आपको दोस्तों और रिश्तेदारों की सलाह सुनकर शेयर पसंद करने के लिए कन्फ्यूज होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि पेसिव फंड आपकी इस उलजन को सुलजाता है. आपके लिए इक्विटी इंवेस्टिंग का आसान और सरल तरीका पेसिव इंवेस्टिंग हो सकता है. सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर विशाल शाह के मुताबिक, जो निवेशक की रिस्क-केपेसिटी मीडियम हो और उसने हाल ही में निवेश का सफर शुरु किया हो, लेकिन वह इक्विटी जैसा रिटर्न चाहता हो तो उसके लिए पेसिव फंड में, खास तौर से इंडेक्स फंड में निवेश की स्ट्रैटेजी बेहतर है.

कंजर्वेटिव निवेशकः यदि आप थोडे कंजर्वेटिव है और आपके पोर्टफोलियो में शेयर और म्यूचुअल फंड के मुकाबले FD, फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMP), सेविंग अकाउंट में कैश और गोल्ड ज्यादा है तो पेसिव फंड के जरिए इक्विटी में अलोकेशन बढा सकते है. शायद आपको रिसर्च करने का टाइम नहीं है या आप हाउसवाइफ या वर्किंग विमेन है तो भी पेसिव फंड से आपकी समस्या का हल निकलता है.

रिटायर्ड निवेशकः यदि आप रिटायर्ड हो चुके है और FD, रियल एस्टेट, गोल्ड, सेविंग अकाउंट और थोडा सा इक्विटी निवेश है, तो आपको डाइवर्सिफिकेशन बनाए रखने के लिए पेसिव फंड को चुनना चाहिए, जो कम लागत में इंडेक्स जितना रिटर्न देने के काबिल है.

मंझे हुए निवेशकः मान लीजिए, आप निवेश के मैदान के मंझे हुए खिलाडी है और आपने हर तरह का इंवेस्टमेंट किया है. आपके म्यूचुअल फंड की कुछ स्कीम ने आल्फा जनरेट किया है तो कुछ स्कीम का रिटर्न बैंचमार्क से कम है तो भी आपके पोर्टफोलियो को बैलेंस करने के लिए पेसिव फंड काम आ सकता है. आपको पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा कोंसोलिडेट करना चाहिए और बाजार के साथ संरेखित हो ऐसी रणनीति अपनानी चाहिए. पोर्टफोलियो में किसी विशेष स्टॉक या क्षेत्र के जोखिम को कम करने और रिटर्न पर प्रभाव कम करने के लिए आपको इंडेक्स के साथ चलने वाली रणनीति लागू करनी चाहिए.

एक्सपर्ट कहते है कि, अगर आप चाहते हैं कि आपका फंड बिना किसी जोखिम के बेंचमार्क जितना रिटर्न दे, तो पैसिवली मैनेज्ड फंड आपके लिए आदर्श हो सकते हैं. लेकिन केवल पेसिव फंड रखना भी गलत है, क्योंकि ऐसा करने से आप दूसरे एक्टिव्ली मैनेज्ड फंड के ज्यादा रिटर्न से दूर रहेंगे.

Published - July 22, 2021, 05:14 IST

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