मां बाप हमेशा ही अपने बच्चो की पढाई और शादी को लेकर चिंता में रहते हैं. पेरेंट्स की इसी परेशानी को ध्यान में रखकर एसबीआई म्यूचुअल फंड (SBI Mutual Fund) ने पिछले साल एक ऐसा इंवेस्टमेंट प्लान लॉन्च किया था, जिसमें निवेश करने के बाद आप बच्चों की एजुकेशन से लेकर शादी तक की चिंता से मुक्त हो सकते हैं. एसबीआई म्यूचुअल फंड ने 7 सितंबर 2020 को ‘एसबीआई मैग्नम चिल्ड्रंस बेनिफिट फंड इंवेस्टमेंट ऑप्शन’ (SBI Magnum Children’s Benefit Fund-Investment Option) लॉन्च किया था. आइए इस फंड के बारे में जानते हैं.
प्लान से जुड़ी खास बातें
‘एसबीआई मैग्नम चिल्ड्रंस बेनिफिट फंड इंवेस्टमेंट ऑप्शन’ का लॉक-इन पीरियड (Lock-In Period) पांच साल का है. आसान शब्दों में समझें तो इस फंड में किए गए निवेश को पांच साल (5 years) या बच्चे के 18 साल के होने तक नहीं निकाला जा सकता है. हालांकि, अगर बच्चा पांच साल का लॉक-इन पीरियड पूरा होने से पहले ही 18 साल का हो जाता है तो फंड से पैसे निकाले जा सकते हैं. एसबीआई का ये नया फंड 1 से लेकर 14 साल तक की उम्र के बच्चों के लिए अच्छा विकल्प है. बच्चे के माता—पिता इसमें उसके साथ ज्वाइंट अकाउंट से फंड में निवेश कर सकते हैं. वे इसे बच्चे के 18 साल के होने तक मैनेज करेंगे. इसके बाद अकाउंट फ्रीज हो जाएगा. जब बच्चा केवाईसी (KYC) की प्रक्रिया पूरी कर लेगा तो अकाउंट फिर से एक्टिव हो जाएगा. तब बच्चा खुद इस स्कीम के लिए म्यूचुअल फंड फोलियो को ऑपरेट कर सकता है.
निवेश की प्रक्रिया
यह एक सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड है. ये फंड आपकी पूंजी का कम से कम 65 फीसदी से लेकर 100 फीसदी तक इक्विटी एक्सचेंज्ड ट्रेडेड फंड्स (ETFs) में निवेश करेगा. वहीं निवेश का 35 फीसदी तक हिस्सा इंटरनेशनल इक्विटी (International Equities) और 20 फीसदी गोल्ड ईटीएफ (Gold ETFs) में निवेश किया जा सकता है. डेट फंड (Debt Funds) में निवेश के लिए ये ट्रिपल-ए रेटेड सिक्योरिटी में पैसा लगाएगा. वहीं, 10 फीसदी हिस्सा इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट फंड में लगा सकता है.
कैपिटल गेंस टैक्स
स्कीम के लिए अधिकतम एक्सपेंस रेशियो (Expense Ratio) एसेट्स का 2.25 फीसदी रखा गया है. इस स्कीम में डिविडेंड ऑप्शन नहीं है. इसमें निवेशकों को सिर्फ ग्रोथ ऑप्शन मिलेगा. एसबीआई चिल्ड्रंस बेनिफिट फंड में 100 फीसदी तक इक्विटी में निवेश का विकल्प है. ऐसे में अगर एक साल से कम समय में पैसा निकाला जाता है तो 15 फीसदी शॉर्ट टर्म कैपिटेल गेंस टैक्स (Capital Gains Tax) लगेगा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एक्सपर्ट का मानना है की लॉक-इन पीरियड के अलावा इस में कुछ नया नहीं है. ये एक नॉर्मल प्लान की तरह ही है. इसमें कोइ टैक्स बेनिफिट भी नहीं है. मिनिमम रिटर्न की भी कोई गारंटी नहीं है, लेकिन लॉन्ग टर्म के लिए निवेश किया जा सकता है. AnchorEDGE Trainings के फाउंडर एंड सीइओ जिगर पारेख का कहना है कि यह एक नॉर्मल इक्विटी फंड की तरह एग्रेसिव फंड है, लेकिन बच्चो को ध्यान में रखकर करना चाहें, तो इसमें इंवेस्ट किया जा सकता है. अगर आप 10 साल के लिए इसमें पैसा लगाते हैं, तो डबल डिजिट में रिटर्न मिल सकता है. लेकिन इसमें मार्केट का रिस्क बना रहता है.
सर्टिफाइड फाइनांसियल एडवाइजर बिरजु आचार्य कहते हैं कि अगर आपको पैसे की शॉर्ट टर्म में जरुरत नहीं है, तो ये अच्छा फंड है. लेकिन मान लो आप के पास सात लाख का फंड इक्कठा हो गया है और आप को पैसे की जरुरत है, तो इस में लॉक इन की वजह से आप ऐसा नहीं कर सकते. इससे अच्छा एक नॉर्मल फंड में एसआइपी करनी चाहिए. जनरली टेक्स फंड, रिटायर फंड और चिल्ड्रन फंड में फंड मेनेजर ज्यादा कंजर्वेटिव होते हैं। इसलिए नॉर्मल म्यूचुअल फंड में एसआइपी करने से जितना रिटर्न मिलता है, उतना ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना इस फंड में कम रहती है.
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