देश में ऑटो बीमा का दायरा बढ़ाने के लिए बीमा नियामक इरडा ने कंपनियों को कई मोर्चों पर राहत दी. ग्राहकों को लुभाने के लिए कंपनियां नए-नए उत्पाद जारी कर
Renewal of Car Insurance: बीमा पॉलिसी समाप्त हो चुकी हैं तो भी बीमा कंपनी चूक छूट अवधि के दौरान एक स्टैंडर्ड नवीनीकरण पर विचार कर सकती है.
नई कार खरीदते वक्त जब आप पॉलिसी खरीदते हैं, तो बीमा कंपनी कार की कीमत में से डेप्रिसिएशन वैल्यू घटाने के बाद कार की आईडीवी तय करती है.
ब्रेक-इन पीरियड, कार बीमा न होने के बराबर ही है. इस दौरान कोई भी नुकसान होने पर कवर प्रदान नहीं किया जाता.
गाड़ी बेचने वाला व्यक्ति बीमा हस्तांतरण के लिए जिम्मेदार होता है. बीमा हस्तांतरण गाड़ी बेचने के 14 दिन बाद हो जाना चाहिए.
यह पता लगा लेना बहुत जरूरी है कि हम जिस कंपनी से बीमा करवा रहे हैं, उसका नेटवर्क हमारे शहर या आसपास कितना मजबूत है
आपने समय पर अपनी कार का इंश्योरेंस रिन्यू नहीं कराया है, तो किसी दुर्घटना की स्थिति में इंश्योरेंस प्रोवाइडर द्वारा आपका क्लेम रिजेक्ट कर दिया जाएगा.
मद्रास हाई कोर्ट ने 1 सितंबर से कार के लिए ओन डैमेज कवरेज जरूरी कर दिया है. अभी तक गाड़ियों के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कवरेज ही जरूरी था.
Car Insurance Claim: समय सीमा के तहत कंपनी को एक्सीडेंट की जानकारी या कागज मुहैया नहीं कराते हैं, तो कंपनी आपका क्लेम सैटल नहीं करेगी.
Free Insurance: अलग-अलग तरह के इंश्योरेंस कवर में पर्सनल एक्सिडेंट कवर, पर्चेज प्रोटेक्शन कवर और पर्मानेंट डिसएबिलिटी कवर आदि शामिल है.