उत्तर प्रदेश के कानपुर में रहने वाले रीतेश ने अपनी खेती की जमीन बेची है, जमीन बेचकर मिले पैसों के इस्तेमाल के बारे में वे सोच ही रहे थे, तभी उनके दोस्त ने बताया कि उन्हें टैक्स भी चुकाना पड़ेगा. रीतेश ने दोस्त को बताया कि उन्होंने तो खेती की जमीन बेची है, फिर उसपर टैक्स क्यों देना? तभी उनके दोस्त ने उन्हें बेची गई जमीन पर टैक्स का गणित समझाया.
रीतेश जैसे लाखों लोग हैं, जो कई वजहों से खेती की जमीन बेचते हैं, लेकिन इसपर टैक्स का क्या गणित है? वो नहीं जानते. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह की जमीन बेचने पर टैक्स देना पड़ता है और किसपर टैक्स नहीं लगता, आपको यह भी पता चलेगा कि किस जमीन को बेचने पर टैक्स लगता है, और उसे कैसे बचाया जा सकता है.
एग्रीकल्चर लैंड दो तरह की होती है, पहली रूरल, यानी ग्रामीण क्षेत्र में खेती की जमीन और दूसरी अर्बन, यानी शहरी क्षेत्र में कृषि की जमीन. खेती-किसानी में इस्तेमाल होने वाली हर जमीन आयकर कानून की नजर में कृषि योग्य भूमि, यानी एग्रीकल्चर लैंड नहीं मानी जाती है. आपकी खेती की जमीन आयकर कानून की नजर में तब तक एग्रीकल्चर लैंड नहीं है, जब तक आयकर कानून की धारा 2 (14) में बताई गई शर्तों का पालन नहीं कर लेती.
आयकर विभाग की नजर में क्या है एग्रीकल्चर लैंड?
अगर खेती की जमीन म्युनिसिपालिटी, नोटिफाइड एरिया कमेटी, टाउन एरिया कमेटी या कैंटोनमेंट बोर्ड के अंदर है और उस कस्बे की जनसंख्या 10,000 या उससे ज्यादा है, तो ये जमीन आयकर कानून के हिसाब से एग्रीकल्चर लैंड नहीं होगी. इसी तरह अगर म्युनिसिपालिटी या कैंटोनमेंट बोर्ड की आबादी 10 हजार से ज्यादा लेकिन 1 लाख तक है, तो उसके 2 किलोमीटर के दायरे में आने वाली जमीन को एग्रीकल्चर लैंड नहीं माना जाएगा. म्युनिसिपालिटी या कैंटोनमेंट बोर्ड की आबादी 1 लाख से ज्यादा लेकिन 10 लाख तक है तो उसके चारों ओर 6 किलोमीटर के दायरे में आने वाला इलाका भी एग्रीकल्चर लैंड नहीं माना जाएगा. इसी तरह इसी तरह, म्युनिसिपालिटी या कैंटोनमेंट में 10 लाख से ज्यादा आबादी होने पर उसके 8 किलोमीटर के दायरे में आने वाली जमीन को एग्रीकल्चर लैंड नहीं माना जाएगा.
किसे एग्रीकल्चर जमीन मानता है आयकर विभाग?
अगर खेती की जमीन बताए गए दायरे में नहीं आती है तो उसे आयकर कानून की नजर में कृषि योग्य भूमि, यानी एग्रीकल्चर लैंड माना जाएगा. एग्रीकल्चर लैंड को आयकर कानून कैपिटल एसेट नहीं मानता है, ऐसे में उसकी बिक्री से हुई कमाई पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगेगा. यानी जमीन पर टैक्स की छूट तभी मिलेगी जब आयकर विभाग उसे एग्रीकल्चर लैंड मानेगा. अगर खेती की जमीन म्युनिसिपालिटी या ऊपर बताए गए जमीन के इर्द-गिर्द के दायरे में आती है, तो उसे कैपिटल एसेट माना जाएगा. इन्हें अर्बन एग्रीकल्चर लैंड कहते हैं. इनकी बिक्री से हुए मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ेगा. यानी रीतेश की जमीन पर भी टैक्स लगेगा.
जमीन खरीदकर आगे बेचने पर भी टैक्स
अगर जमीन को खरीदकर, 24 महीने बाद बेचा जाता है तो मुनाफे को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. इसपर इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ 20 फीसदी टैक्स लगेगा. खेती की जमीन को खरीदने के 24 महीने के अंदर बेचा जाता है, तो मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा, कैपिटल गेन की रकम पर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स बनेगा.
जमीन बेचने पर कैसे बचाएं टैक्स?
शहरी क्षेत्र में स्थित खेती की जमीन पर सेक्शन 54 (B) के तहत दूसरी कृषि योग्य जमीन खरीदकर कैपिटल गेन टैक्स बचा सकते हैं, इसके लिए कुछ शर्तें हैं. एग्रीकल्चर लैंड के ट्रांसफर की तारीख से दो साल पहले तक व्यक्ति या उसका परिवार इस जमीन का इस्तेमाल कृषि के लिए कर रहा हो. जमीन बेचने के दो साल के अंदर दूसरी कृषि योग्य जमीन यानी एग्रीकल्चर लैंड खरीदनी होगी, यह रूरल या अर्बन कोई भी एग्रीकल्चर लैंड हो सकती है. साथ ही नई एग्रीकल्चर लैंड को 3 साल तक बेचा नहीं जा सकता है, 3 साल से पहले बेचने पर एग्जम्प्शन वापस हो जाएगा और टैक्स भरना पड़ेगा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
टैक्स एंड इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन बताते हैं कि अर्बन एग्रीकल्चर लैंड बेचने से हुए कैपिटल गेन को सेक्शन 54F के तहत रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी, यानी घर खरीदकर भी टैक्स बचाया जा सकता है. इसमें कैपिटल गेन की जगह खेती की जमीन बेचने से मिली पूरी रकम का इस्तेमाल घर खरीदने के लिए करना होगा. जमीन बेचने के दो साल के भीतर घर खरीदना होगा, निर्माण के मामले में 3 साल में घर बन जाना चाहिए. जमीन बेचने की तारीख से एक साल पहले तक खरीदे घर पर भी आप 54F का एग्जम्प्शन ले सकते हैं, इसके अलावा, सेक्शन 54EC के तहत कैपिटल गेन बॉन्ड में भी निवेश कर सकते हैं.
यानी रीतेश चाहें तो टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन की राय मानकर टैक्स बचा सकते हैं. वित्त वर्ष 2023-24 से सेक्शन 54F के तहत 10 करोड़ रुपए तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर ही टैक्स छूट ली जा सकती है. 10 करोड़ से ऊपर का जो भी कैपिटल गेन होगा, उसपर आपको टैक्स देना होगा.