वित्त वर्ष 2023-24 से नई कर व्यवस्था को डिफॉल्ट व्यवस्था बनाया गया है. हालांकि, अभी भी पुरानी कर व्यवस्था का विकल्प मिलेगा, लेकिन आपको उसे चुनना होगा. वेतनभोगी व्यक्तियों को कर व्यवस्था चुनने के लिए ई–मेल आने लगे होंगे ताकि नियोक्ता यानी कंपनी उचित टीडीएस काट सके. बजट में नई व्यवस्था में कई बदलाव किए गए हैं, जिसके बाद इसमें सेविंग बढ़ गई है. ऐसे में अगर आप भी तय नहीं कर पा रहे हैं कि किस कर व्यवस्था का चुनाव करें तो आइये जानते हैं कि आपके लिए कौन सी टैक्स व्यवस्था होगी फायदेमंद..
NewVsOld: कौन सी कर व्यवस्था बेहतर?
टैक्स जानकारों का मानना है कि सालाना कमाई अगर 10 लाख रुपए तक है तो नई कर व्यवस्था चुनना बेहतर रहेगा. साथ ही अगर टैक्स बचाने के लिए इंश्योरेंस, म्यूचुअल फंड जैसा निवेश नहीं किया है और न ही होम लोन ले रखा है तो नई व्यवस्था ही ठीक रहेगी. जो करदाता छूट एवं कटौती का फायदा ले रहे हैं या लेना चाहते हैं उनके लिए पुरानी कर व्यवस्था फायदेमंद हो सकती है. आयकर विभाग की वेबसाइट पर टैक्स कैलकुलेटर की मदद से आप नई और पुरानी व्यवस्था में अपने टैक्स की गणना करके सही कर व्यवस्था चुन सकते हैं. सालाना इनकम अगर 7 लाख रुपए तक है तो भी नई व्यवस्था फायदेमंद क्योंकि इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
सिर्फ टैक्स बचाने के लिए न करें निवेश
टैक्स सेविंग फाइनेंशियल प्लानिंग का एक हिस्सा जरूर है लेकिन निवेश टैक्स बचाने के लिए नहीं बल्कि फाइनेंशियल गोल के आधार पर करना चाहिए. निवेश के विकल्प चुनने में एसेट एलोकेशन की बड़ी भूमिका है क्योंकि इससे कर देनदारी घटाने के साथ निवेश पर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न हासिल किया जा सकता है.
मनी9 की सलाह
नई कर व्यवस्था में टैक्स बचाने के लिए निवेश करने की जरूरत नहीं है. यहां आपको वित्तीय सुरक्षा और वित्तीय लक्ष्य को ध्यान में रखकर निवेश करना चाहिए. लेकिन अगर आप पुरानी व्यवस्था चुनते हैं तो टैक्स बचाने के लिए निवेश का सहारा लेना होगा.