यहां निवेश से कैसे बचेगा ज्यादा टैक्स?

ELSS में फिक्स नहीं बल्कि बाजार के हिसाब से रिटर्न मिलता है. इसमें 3 साल का लॉक-इन है, जो दूसरे टैक्स बचाने वाले विकल्पों की तुलना में सबसे कम है.

यहां निवेश से कैसे बचेगा ज्यादा टैक्स?

पुरानी कर व्यवस्था में इस पर सेक्शन 80C और 80D के तहत डिडक्शन मिलता है. ( Photo Credit: Freepik)

पुरानी कर व्यवस्था में इस पर सेक्शन 80C और 80D के तहत डिडक्शन मिलता है. ( Photo Credit: Freepik)

नया वित्त वर्ष 2023-24 शुरू हो गया है. 2023 के बजट में हुए बदलावों ने करदाताओं का कंफ्यूजन बढ़ा दिया है. टैक्स बचाने के गुणागणित में करदाता उलझे हुए हैं. इस बार टैक्स बचाने की प्लानिंग कर व्यवस्था चुनने के साथ शुरू हो रही है. टैक्स सेविंग और फाइनेंशियल प्लानिंग कदम से कदम मिलाकर चलें. इसके लिए अभी से ब्लूप्रिंट तैयार कर लें. क्योंकि लास्ट मिनट पर टैक्स बचाने का चक्कर नुकसान करा सकता है. आइए जानते हैं कि बजट में हुए बदलाव के बाद कहां निवेश करें जिससे टैक्स भी बचे और भविष्य की जरूरतें भी पूरी हो जाएं.

पब्लिक प्रॉविडेंट फंड

सबसे पहले बात पब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानी PPF की. PPF में निवेश पर मिलने वाला रिटर्न टैक्स फ्री है और इसमें जोखिम न के बराबर है. PPF में अभी 7.1 फीसद का सालाना ब्याज है. पुरानी कर व्यवस्था में PPF में निवेश पर आयकर कानून की धारा 80C के तहत डेढ़ लाख रुपए तक का डिडक्शन मिलता है..

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम यानी ELSS में पैसा इक्विटी आधारित प्रोडक्ट में लगता है इसलिए लंबी अवधि में अच्छे रिटर्न मिलने की उम्मीद की जाती है. टैक्स बचाने के साथ ज्यादा रिटर्न पाने के लिए यह अच्छा विकल्प है. ध्यान रखें कि ELSS में फिक्स नहीं बल्कि बाजार के हिसाब से रिटर्न मिलता है. इसमें 3 साल का लॉकइन है, जो दूसरे टैक्स बचाने वाले विकल्पों की तुलना में सबसे कम है.

नेशनल पेंशन सिस्टम

टैक्स बचाने और बुढ़ापे के लिए पूंजी जोड़ने दोनों के लिहाज से नेशनल पेंशन सिस्टम यानी NPS एक अच्छा विकल्प है. इसमें निवेश करने पर 50,000 रुपए की अतिरिक्त टैक्स छूट मिलती है, जो 80C के डेढ़ लाख रुपए के डिडक्शन के ऊपर है. अगर आप नई कर व्यवस्था चुनते हैं तो 50,000 रुपए का अतिरिक्त डिडक्शन नहीं मिलेगा. हालांकि, रिटायरमेंट के लिए अच्छा पैसा जोड़ सकते हैं.

मनी9 की सलाह

आप पुरानी कर व्यवस्था चुनें या फिर नई, वित्तीय सुरक्षा के लिहाज से टर्म और हेल्थ इंश्योरेंस जरूर लें. पुरानी कर व्यवस्था में इस पर सेक्शन 80C और 80D के तहत डिडक्शन मिलता है. मुश्किल वक्त में ये दोनों चीजें काम आएंगी. ध्यान रहे कि PPF में जमा पैसों को मैच्योरिटी या रिटायरमेंट से पहले न निकाले. सेक्शन 80C में कई ऐसे खर्च भी हैं, जो टैक्स बचाते हैं. इनमें बच्चों की पढ़ाई की फीस, होम लोन के मूलधन की अदायगी, नई प्रॉपर्टी खरीदने पर स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज शामिल हैं. इसके अलावा, EPF में आपके हिस्से का कंट्रीब्यूशन भी है. इन चीजों से अगर 80C की लिमिट पूरी हो जाती है तो इसके तहत और निवेश नहीं करें.

Published - April 24, 2023, 10:09 IST