माल एवं सेवाकर (GST) चोरी रोकने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. इसके तहत जीएसटी नेटवर्क (GSTN) को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत लाया गया है. इसका मतलब है कि अब जीएसटी से जुड़े मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) सीधे दखल दे सकेगा. सरकार की इस पहल से मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए जीएसटी चोरी करने वालों पर अंकुश लगेगा. साथ ही टैक्स की वसूली करने में मदद मिलेगी.
इस बारे में सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार जीएसटी नेटवर्क के डेटा की पूरी सूचना ईडी को दी जाएगी. यह अधिसूचना पीएमएलए के प्रावधानों के तहत ईडी और जीएसटीएन के बीच जानकारी साझा करने के संबंध में है. इससे ईडी को यह अधिकार मिल गया है कि उसे जीएसटी चोरी से जुड़े जिन मामलों में मनी लॉंड्रिंग का शक होगा वह उनकी सीधे जांच कर सकेगा.
कैसे मिलेगी मदद
जीएसटी नेटवर्क इनडायरेक्ट टैक्स से जुड़ी टेक्नोलॉजी को हैंडल करता है. यह इकाई जीएसटी से जुड़ी सभी जानकारियां जैसे रिटर्न, टैक्स फाइलिंग और अन्य अनुपालन सहित सभी की रिपोजिटरी के रूप में कार्य करती है. इसका मतलब है कि अब जीएसटी से जुड़े मामलों में ईडी सीधे दखल दे सकेगा और जीएसटी चोरी करने वाली फर्म, व्यापारी या संस्था के खिलाफ कार्रवाई कर सकेगा. जानकारों का मानना है कि इससे ईडी को इससे जांच में ज्यादा मदद मिल सकेगी.
क्यों पड़ी जरूरत?
देश में जीएसटी लागू हुए छह साल पूरे हो गए हैं. इस दौरान करदाताओं की की संख्या दोगुनी हो गई है. अभी करीब 1.4 करोड़ जीएसटी करदाता हैं. वहीं वर्ष 2017-18 में औसत मासिक राजस्व वसूली लगभग 90,000 करोड़ रुपए थी जो अब बढ़कर 1.69 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई है. इस दरम्यान फर्जी तरीकों से करीब तीन लाख करोड़ रुपए की कर चोरी होने का अनुमान है. इसमें से एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की कर चोरी वित्त वर्ष 2022-23 में ही की गई. हाल ही में नोएडा में जीएसटी चोरी से जुड़े एक बड़े गिरोह का खुलासा हुआ है. इसके बाद देशभर में जीएसटी चोरी विरोधी अभियान चलाया गया. इस दौरान जीएसटी चोरी के कई बड़े खुलासे हुए. अगर जीएसटी चोरी पर अंकुश लगता है तो जीएसटी वसूली का मासिक आंकड़ा दो लाख करोड़ के स्तर पर पहुंच सकता है.
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