जहां कमाई होती है वहां टैक्स चुकाना होता है. आमतौर पर किसी वित्त वर्ष के दौरान की गई कमाई पर साल के आखिर में इनकम टैक्स भरना पड़ता है लेकिन क्या आपको पता है कि वित्त वर्ष खत्म होने से पहले भी टैक्स चुकाया जाता है. इसे एडवांस टैक्स कहते हैं. करदाताओं के वित्तीय बोझ को कम करने के लिए यह स्कीम पेश की गई है. एक बार में भारी-भरकम टैक्स भरने की जगह आप टुकड़ों में टैक्स भर सकते हैं.
क्या होता है एडवांस टैक्स?
एडवांस टैक्स, वह इनकम टैक्स है, जिसका भुगतान करदाता को एकसाथ न करके हर तिमाही करना होता है. आयकर अधिनियम के मुताबिक, करदाता को पूरे वित्त वर्ष में होने वाली कमाई का कैलकुलेशन करना होता है. इसके आधार पर, विशेष अंतराल पर टैक्स का भुगतान करना होता है. यानी जिस वित्त वर्ष में आपकी कमाई होती है, उसी वित्त वर्ष के दौरान एडवांस टैक्स चुकाया जाता है.
किन्हें भरना होता है एडवांस टैक्स?
हर करदाता जिसकी एक वित्त वर्ष में टैक्स देनदारी 10 हजार रुपए या उससे ज्यादा बनती है उसे एडवांस टैक्स चुकाना होता है. फिर चाहे वह नौकरीपेशा हो, बिजनेस चलाता हो या फिर किसी पेशे से जुड़ा हो. सैलरी वाले लोगों को एडवांस टैक्स नहीं चुकाना होता है क्योंकि नियोक्ता TDS काटकर सैलरी देता है. ऐसे करदाताओं को एडवांस टैक्स देने की जरूरत सिर्फ तब पड़ती है जब उनकी सैलरी के अलावा कोई और इनकम हो, जैसे किराए, ब्याज या डिविडेंड से आय आमतौर पर बिजनेसमैन या प्रोफेशनल्स एडवांस टैक्स चुकाते हैं. 60 साल से ऊपर के लोगों को एडवांस टैक्स भरने से छूट हासिल है. शर्त यह है कि उनकी किसी कारोबार या प्रोफेशन से आय नहीं होनी चाहिए.
कब और कितना भरना होता एडवांस टैक्स?
एडवांस टैक्स को चार भागों में बांटा गया है. पहली किस्त 15 जून तक, दूसरी 15 सितंबर तक, तीसरी किस्त 15 दिसंबर तक और आखिरी किस्त 15 मार्च तक जमा करनी होती है. टोटल टैक्स का 15 फीसद आपको 15 जून तक एडवांस टैक्स के तौर पर जमा करना पड़ता है. 15 सितंबर तक 45 फीसदी, 15 दिसंबर तक 75 फीसदी और 15 मार्च तक 100 फीसदी टैक्स भरना होता है.
‘समय पर एडवांस टैक्स नहीं भरने पर जुर्माना’
एडवोकेट एंड टैक्स एक्सपर्ट गौरव गुप्ता बताते हैं कि टाइम पर एडवांस टैक्स भरने में नाकाम रहने पर सेक्शन 234B और सेक्शन 234C के तहत ब्याज यानी इंटरेस्ट देना होगा. मान लीजिए आपने 15 सितंबर की डेडलाइन मिस कर दी तो आपको 3 महीने का ब्याज देना होगा, जिसकी दर एक फीसदी प्रतिमाह है. अगर करदाता ने ज्यादा एडवांस टैक्स भर दिया है तो इनकम टैक्स रिटर्न भरकर रिफंड क्लेम कर सकता है. गौरव गुप्ता बताते हैं कि एडवांस टैक्स भरते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि करदाता ने सही असेसमेंट ईयर भरा हो और पैन नंबर ठीक हो. इसके अलावा, एडवांस टैक्स की गणना करते समय करदाता को अनुमानित कुल कर में से TDS और डिडक्शन तथा कर छूट को घटाकर बची टैक्स की रकम को एडवांस टैक्स के रूप में जमा करना चाहिए.
कैसे जमा करें एडवांस टैक्स?
एडवांस टैक्स भरना काफी आसान है. इसके लिए आपको इनकम टैक्स विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट (https://www.incometax.gov.in/) पर जाना होगा और e-Pay Tax के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा. पैन नंबर और मोबाइल नंबर डालकर आपको एडवांस टैक्स का विकल्प सेलेक्ट करना होगा. नेट बैंकिंग या डेबिट कार्ड के जरिए पेमेंट कर सकते हैं. इसके अलावा, आप चालान नंबर 208 जेनरेट कर सकते हैं और इसे अधिकृत बैंक शाखा में जमा करके एडवांस टैक्स भर सकते हैं.