'जुर्माने से मुकदमे तक’ : सरकार कैसे पकड़ रही है टैक्स चोरी?

जीएसटी रिटर्न के हिसाब से कारोबारी अपना आयकर रिटर्न नहीं भर रहे हैं.

'जुर्माने से मुकदमे तक’ : सरकार कैसे पकड़ रही है टैक्स चोरी?

टैक्स चोरी रोकने के लिए सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है. नई तकनीक जैसे डेटा माइनिंग, डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का सहारा लिया जा रहा है. यही नहीं, इनकम टैक्स, जीएसटी, बैंक जैसे कई डिपार्टमेंट मिलकर काम रहे हैं. सरकार की नजर बड़ी कंपनियों, नौकरीपेशा से लेकर छोटे कारोबारियों तक पर है. कई कारोबारी टर्नओवर ज्यादा दिखाते हैं, लेकिन इनकम कम. सरकार कैसे इन पर नजर रखती है, ये व्यवस्था कैसे शुरू हुई और कैसे काम करती है? आइए ये समझने की कोशिश करते हैं.

टैक्स चोरी रोकने की पटकथा शुरू हुई जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू होने के साथ. जीएसटी ने न सिर्फ पूरे देश में उत्पादों और सेवाओं के लिए समान टैक्स की व्यवस्था की, बल्कि केंद्र सरकार के पास सारे तरह के टैक्स से जुड़े आंकड़े पहुंचाने का भी काम किया.

साल 2019 में इसकी अगली कड़ी सामने आई जब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी CBDT ने एक आदेश जारी किया. जिसके बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और जीएसटी अफसरों के बीच ITR फाइलिंग स्टेटस, टर्नओवर, ग्रॉस टोटल इनकम, टर्नओवर रेश्यो, ग्रॉस टोटल इनकम रेंज, टर्नओवर रेंज जैसी अहम वित्तीय जानकारियां साझा की जा सकती थीं. ये व्यवस्था ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए लाई गई, जिनकी किसी कारोबार से आय थी.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और जीएसटी नेटवर्क के बीच ‘गठजोड़’ के बाद इसी साल यानी जून 2019 में नोटिस भेजने का सिलसिला शुरू हुआ. विभिन्न रिपोर्ट्स के मुताबिक, संभवत: यह पहला मामला था जब इनकम टैक्स रिटर्न और जीएसटी रिटर्न का मिलान किया गया. दोनों में मिसमैच यानी अंतर मिलने पर नोटिस भेजे गए.

ITR और GST रिटर्न के मिलान से पता चला कि जीएसटी क्लेम बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए और इनकम टैक्स रिटर्न में कमाई कम करके दिखाई गई. ये भी पता चला कि जीएसटी रिटर्न के हिसाब से कारोबारी अपना आयकर रिटर्न नहीं भर रहे हैं.

जीएसटी व्यवस्था आने से पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के लिए इस तरह के आंकड़ों का मिलान करना संभव नहीं था. इसकी वजह यह थी कि सेल्स रिटर्न राज्य स्तर पर फाइल होते थे, जबकि इनकम रिटर्न केंद्र सरकार के तहत आता है. अब दोनों विभाग केन्द्र के तहत आते हैं. इस वजह से अधिकारियों के लिए आंकड़ों का मिलना करना आसान हो गया. ये कदम दिखाता है टैक्स चोरी और टैक्स चोरों को पकड़ने के लिए सरकार डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल कर रही है.

ऐसे कारोबारी या बिजनेस जिनका सालाना टर्नओवर निर्धारित सीमा से ज्यादा है, उनके लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. उत्पादों की बिक्री करने वालों के लिए ये सीमा 40 लाख रुपए और सेवा क्षेत्र के काम करने वाले कारोबारियों के लिए सीमा 20 लाख रुपए है. कुछ मामलों में यह सीमा क्रमश: 20 लाख और 10 लाख रुपए है. इससे ज्यादा टर्नओवर होने जीएसटी रजिस्ट्रेशन जरूरी है. जीएसटी रजिस्ट्रेशन में कारोबारियों को जीएसटी नंबर मिलता है जिसमें आपके पैन नंबर के 10 डिजिट शामिल होते हैं, जिसके जरिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को आपके पैन नंबर पर रिपोर्ट हुए ट्रांजैक्शन की जानकारी मिलती है.

सरकार ने टैक्सपेयर्स का डेटा जुटाने के लिए व्यापक व्यवस्था बनाई है ताकि टैक्स चोरी पर लगाम लगाया जा सके. अगर आप कारोबारी हैं और आपके जीएसटी रिटर्न या इनकम टैक्स रिटर्न में किसी तरह का मिसमैच आता है तो नोटिस थमाया जा सकता है. किसी इनकम को छिपाना टैक्स चोरी माना जा सकता है, इसमें पेनाल्टी से लेकर मुकदमा और सजा तक का प्रावधान है. ऐसे में बेहतर है कि आप सही-सही कमाई ITR में दिखाएं और उस हिसाब से टैक्स भरकर टेंशन फ्री रहें. अगर वित्त वर्ष 2022-23 के इनकम टैक्स रिटर्न में आप कोई इनकम दिखाना भूल गए हैं तो अभी देर नहीं हुई है आप 31 दिसंबर 2023 तक अपने रिटर्न को रिवाइज्ड भर सकते हैं. दो साल तक के पुराने रिटर्न में सुधार के लिए अपडेटेड रिटर्न भर सकते हैं.

Published - December 14, 2023, 08:14 IST