पिछले साल 1 अप्रैल से इनकम टैक्स री-असेसमेंट की व्यवस्था में कई बदलाव सरकार ने किए हैं. लेकिन, हालिया बजट में हुए एक बड़े बदलाव से अभिनव थोड़े से परेशान हैं. इस बदलाव से अभिनव जैसे इंडीविजुअल टैक्सपेयर्स ही चक्कर में नहीं पड़े, बल्कि इसने कॉरपोरेट्स को भी मुश्किल में डाल दिया है. यही वजह है कि टैक्स कंसल्टेंट्स और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के पास इन बदलावों से जुड़े सवालों की बाढ़ आ गई है. इस बदलाव ने आयकर विभाग के पिछले असेसमेंट को फिर से खोलने की आजादी के दायरे को और बढ़ा दिया है.
टैक्स एक्सपर्ट्स को डर है कि इन संशोधनों के चलते इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और ज्यादा रीअसेसमेंट नोटिस भेज सकता है. अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को लगता है कि किसी टैक्सपेयर ने कोई बड़ा खर्च किया है और जिसकी वजह उसने नहीं बताई है तो उसे टैक्स नोटिस जारी किया जा सकता है. पिछली व्यवस्था में ये था कि अगर कोई 50 लाख रुपए से ऊपर की किसी एसेट के बारे में अपने आयकर ब्योरे में नहीं बताता है तो उसका टैक्स रीअसेसमेंट किया जा सकता है. ऐसा गुजरे 10 साल तक के मामलों में हो सकता था. अब ये रूल बदल गया है. और इसे समझना जरूरी है.
आयकर डिपार्टमेंट के लिए रीअसेसमेंट के दायरे को ज्यादा बड़ा कर दिया गया है. अब अगर किसी कंपनी या इंडीविजुअल की 50 लाख रुपए या उससे ज्यादा की आमदनी या खातों में मौजूद एंट्रीज के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं है तो आयकर विभाग 10 साल पुराने तक ऐसे मामलों को फिर से खोल सकता है.
अगर ऐसी छिपाई गई कमाई या खर्च 50 लाख रुपए से कम हैं तो री-असेसमेंट की सीमा को पहले के 6 साल के मुकाबले घटाकर 3 साल कर दिया गया है. बिना स्पष्टीकरण वाले खर्चों में बड़े इवेंट्स पर किया गया खर्च, महंगे एसेट्स जैसे मद आते हैं.
यहां तक कि अगर खातों में कोई ऐसी एंट्री है जिसका स्पष्टीकरण नहीं है तो उस पर भी आपको टैक्स रीअसेसमेंट नोटिस आ सकता है. मान लीजिए आपने कोई लोन लिया था और इसे कम वक्त में ही चुका दिया गया तो इस पर भी आपको नोटिस आ सकता है. ये नए प्रोविजन फाइनेंस बिल 2022 का हिस्सा हैं.
क्या है तरीका?
नए प्रोविजंस के तहत I-T डिपार्टमेंट कई सोर्सेज के जरिए केसेज को रीओपन कर सकते हैं. अभी तक डिपार्टमेंट CBDT के रिस्क मैनेजमेंट के बताए गए आंकड़ों और कैग की आपत्तियों के आधार पर ही कार्यवाही करता था. लेकिन, अब उसके हाथ में ज्यादा हथियार हैं. इनमें, किसी ऑडिट में आने वाली आपत्तियां, विदेशी टैक्स अथॉरिटीज की जानकारियां, ट्राइब्यूनल या किसी अदालत के आदेश शामिल हैं.
I-T डिपार्टमेंट का इनसाइट प्लेटफॉर्म भी टैक्स अधिकारियों को टैक्स चोरों को पकड़ने में मदद देता है. इनसाइट पोर्टल अलग-अलग रिपोर्टिंग इकाइयों से डेटा को प्रोसेस करता है. खैर, असेसमेंट ईयर 2018-19 के मुताबिक, भारत में अभी महज 3 लाख लोग ही ऐसे थे जिनकी कमाई 50 लाख रुपए या उससे ज्यादा है. अब डर ये है कि दायरा बढ़ाने से टैक्स नोटिसों की कहीं बाढ़ न आ जाए.
मनी9 सलाह
टैक्सपेयर्स को हमेशा अपने बड़े लेनदेन से संबंधित दस्तावेज सहेज कर रखने चाहिए. इससे बाद में किसी भी परेशान से आप बच सकते हैं. टैक्स से संबंधित आपकी मुहैया कराई जानकारियों में भी तालमेल होना चाहिए. अगर इनमें अनियमितता दिखेगी तो आपके पास भी नोटिस आ सकता है.