वित्त वर्ष 2020-21 खत्म होने के करीब है और अगर आपने कोई घर खरीदा है या आपका कोई होम लोन चल रहा है तो इनकम टैक्स में आपको बड़ी बचत (Tax Deduction) हो सकती है. सरकार चाहती है कि लोग हाउसिंग में निवेश करे और इसलिए टैक्स छूट के जरिए बढ़ावा भी देती है. घर खरीदने और होम लोन पर आपको कई सेक्शन के तहत छूट मिलती है. और वहीं अगर ये आपका पहला घर है तो छूट की सीमा 50,000 रुपये तक बढ़ जाती है. मूल रकम से लेकर ब्याज तक पर आपको टैक्स छूट मिलती है. अब आपको बताते हैं कि किन सेक्शन के तहत ये छूट मिलती है और कितनी छूट मिलती हैं.
किसी भी होम लोन में दो तरह के कंपोनेंट होते हैं – ब्याज पेमेंट और प्रिंसिपल रीपेमेंट. EMI के इस ब्याज कंपोनेंट के पेमेंट पर सेक्शन 24 के तहत इनकम में से 2 लाख रुपये तक की छूट (Tax Deduction) ले सकते हैं. अब आपको लग सकता है कि इंट्रस्ट कितना ही होगा, लेकिन होम लोन लंबे समय का लोन होने की वजह से इसका ब्याज जमा करें तो ये काफी बड़ा हिस्सा बन जाता है. हालांकि ध्यान रहे कि ये छूट तभी मिलती है जब आपको घर का पजेशन मिल गया हो. यानि अंडर-कंस्ट्रक्शन घर या फ्लैट पर ये छूट नहीं मिलेगी. घर में शिफ्ट होने का घर का कंस्ट्रक्शन पूरो होने के बाद ही छूट मिल सकेगी.
EMI में मूल रकम यानि प्रिंसिपल अमाउंट पर आप सेक्शन 80C के तहत छूट ले सकते हैं. सेक्शन 80C के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये की छूट मिलती है. लेकिन इस सेक्शन के अंतर्गत कई और निवेश विकल्प भी आते हैं तो संभव है कि आपको इसकी सीमा छोटी लगे. वहीं इस डिडक्शन को क्लेम करने के लिए आपको कम से कम 5 साल तक इस घर को अपने पजेशन में रखना होगा और इससे पहले आप बेच नहीं सकते. अगर 5 साल से पहले प्रॉपर्टी बेच दी जाती है तो पिछले डिडक्शन को बिक्री वाले साल की आय में जोड़ा जाएगा.
इस सेक्शन के तहत स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस पर भी डिडक्शन (Tax Deduction) ले सकते हैं लेकिन 1.5 लाख रुपये की सीमा के अंतर्गत ही और वो भी सिर्फ जिस साल आपको ये पेमेंट करनी पड़ी है उसी साल की फाइलिंग में.
अगर ये आपका पहला घर है तो आप 50,000 रुपये का अतिरिक्त छूट ले सकते हैं. ये छूट होम लोन के ब्याज पर मिलती है और जब तक कर्ज चुकाया नहीं गया तब तक हर वित्त वर्ष इसे क्लेम किया जा सकता है. ये छूट सेक्शन 24 की 2 लाख रुपये की छूट से अलग है यानि एडिशनल बेनिफिट (Additional Tax Deduction). वहीं सरकार ने इस सेक्शन के तहत क्लेम के लिए कई शर्तें भी रखी हैं. मसलन, प्रॉपर्टी की कीमत 50 लाख रुपये से ज्यादा ना हो और इसपर लिया होम लोन 35 लाख रुपये से ज्यादा नहीं. साथ ही, जिस साल आपने लोन लिया उस समय तक आपके पास कोई दूसरा घर ना हो.
अकसर होम लोन की रकम बढ़ाने के लिए पति-पत्नी जॉइंट होम लोन लेते हैं – दोनों की आय एक साथ जोड़ने से बड़ी रकम का होम लोन मिल पाता है. ऐसी स्थिति में दोनों पति-पत्नी अपने इनकम टैक्स फाइलिंग के वक्त डिडक्शन (Tax Deduction) ले सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि प्रॉपर्टी में दोनों को-ओनर हों.