ज्यादातर कंपनियां अपने कर्मचारियों को दिवाली बोनस देती हैं. आमतौर ये बोनस कैश या सीधे बैंक अकाउंट में दिया जाता है. कुछ कंपनियां Kind यानी वस्तु या सामान के तौर पर दिवाली बोनस देती हैं. दिवाली बोनस को कैसे खर्च करना है या इसका इस्तेमाल कैसे करना है ये तय करना कर्मचारी का काम है. इसलिए उस पर टैक्स कब लगेगा ये भी आपको पता होना चाहिए.
आयकर कानून के प्रावधानों के मुताबिक, किसी कर्मचारी को कंपनी से कैश या फिर अकाउंट में पैसे मिलते हैं तो उसे Income From Salary यानी वेतन से कमाई माना जाएगा. बोनस की रकम कर्मचारी की सैलरी में शामिल हो जाएगी. कर्मचारी की कमाई जिस टैक्स स्लैब में आएगी उसे हिसाब से टैक्स देना होगा. उदाहरण के लिए, अगर आपकी इनकम 20 फीसदी के स्लैब में आती है तो आपको बोनस की रकम पर भी 20 फीसदी टैक्स देना पड़ेगा.
काफी कर्मचारियों को दिवाली बोनस में पैसे न मिलकर वाउचर, कूपन, गिफ्ट हैम्पर या टोकन मिलते हैं. आयकर कानून के रूल 3(7)(iv) के तहत, अगर कर्मचारी को दिवाली गिफ्ट में वाउचर/कूपन मिलता है और उसकी कीमत 5000 रुपए या उससे ज्यादा है तो ऐसे तोहफे की रकम पर टैक्स लगेगा. गिफ्ट की कीमत 5000 रुपए से ऊपर जाने पर इसे आपकी सैलरी का हिस्सा माना जाएगा और टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा. कंपनी से मिले गिफ्ट की रकम 5000 रुपए से कम होने पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
ध्यान देने वाली बात ये है कि 5 हजार रुपए की ये लिमिट सिर्फ दिवाली के लिए नहीं बल्कि पूरे वित्त वर्ष के लिए है, इसलिए दिवाली गिफ्ट तभी टैक्स-फ्री रहेगा जब एक साल में नियोक्ता से मिले सभी गिफ्ट की वैल्यू 5 हजार रुपए से कम होगी. तोहफों की कीमत से 5,000 रुपए घटाने के बाद बोनस या गिफ्ट की जो रकम बची है उस पर टैक्स लगेगा. बहुत से कर्मचारियों को दिवाली बोनस के रूप में कार, बाइक, सोने का सिक्का या महंगे गैजेट गिफ्ट में मिलते हैं. इस कंडीशन में भी 5000 रुपए की लिमिट लागू होगी. गिफ्ट की मार्केट वैल्यू का पता करके उसमें से 5000 रुपए घटाने के बाद बचने वाली रकम पर आपको टैक्स देना होगा.
बोनस कैश या अकाउंट में मिलने पर कंपनी टीडीएस यानी टैक्स काटकर देती है. अगर कंपनी टैक्स नहीं काटती है या फिर गिफ्ट में कोई महंगी चीज मिलती है तो उसकी कीमत आपको अपने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में दिखाना होगा. ऐसे में अगर आपको भी दिवाली बोनस मिला है तो ध्यान रखें कि ऐसे गिफ्ट हमेशा टैक्स-फ्री नहीं होते हैं. हां, अगर आपको अपने क्लोज रिलेटिव, जिनका जिक्र इनकम टैक्स एक्ट में ‘रिलेटिव’ के रूप में है, जैसे माता-पिता, दादा-दादी, पति या पत्नी, सास-ससुर ऐसे करीबी रिश्तेदारों से दिवाली पर कोई गिफ्ट मिलता है तो उस पर किसी तरह का टैक्स नहीं है. चाहे उसकी कीमत कितनी भी हो. इन रिलेटिव्स के अलावा अगर आपको किसी और से गिफ्ट मिलते हैं तो एक वित्त वर्ष में 50 हजार रुपए तक के गिफ्ट ही टैक्स-फ्री होंगे. गिफ्ट की रकम 50,000 रुपए से ऊपर पहुंचने पर गिफ्ट की पूरी रकम पर टैक्स लगेगा.