जीएसटी (GST) चोरी के खिलाफ सरकार की सख्ती बढ़ती ही जा रही है. जीएसटी के फर्जी रजिस्ट्रेशन और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के फर्जी दावों को पकड़ने के लिए केंद्र सरकार विशेष अभियान चला रही है. यह अभियान 16 मई को शुरू हुआ था जो 15 जुलाई तक चलेगा. इसके तहत पहले सप्ताह में ही लगभग 10,000 फर्जी पंजीकरण का पता चला. इस अभियान के तहत अब तक 30,000 करोड़ रुपए की कर चोरी का पर्दाफाश हुआ है. इसमें 18,000 घपले पैन और आधार कार्ड के जरिए पकड़े गए हैं. इसके तहत करीब 4,000 शेल कंपनियां पीएम किसान और योजनाओं के लाभार्थियों के डेटा को चोरी कर 16,000 फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराए गए. यह रैकेट देश के 16 राज्यों में चल रहा था.
कैसे किया जा रहा था घोटाला?
अधिकारियों का कहना है कि यह एक संगठित रैकेट था जो 16 राज्यों में शेल यानी फर्जी कंपनियां बनाकर चलाया जा रहा था. पीएम किसान, ग्रामीण रोजगार योजना और अन्य योजनाओं से डेटा चुराकर फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराए गए थे. दरअसल, इन शेल कंपनियों का इस्तेमाल नकली बिल बनाने के लिए किया जाता था, जिन्हें बाद में इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने के लिए विभिन्न कंपनियों को बेच दिया जाता था.
इन शेल कंपनियों को बनाने के लिए, नकली ई-वे बिल और इन्हें दूसरी कंपनियों को मुहैया कराने के लिए रैकेट तीन स्तर पर काम कर रहा था. कुछ मामलों में विभाग को सूचना दिए बिना कंपनियों का निदेशक बना दिया गया. अब अधिकारी जल्द ही उन कंपनियों को नोटिस भेजेंगे जिन्होंने इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने के लिए इन फर्जी चालानों का लाभ उठाया था.
जीएसटी अधिकारी कर रहे कार्रवाई
जीएसटी अधिकारियों ने इस अभियान में आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय सहित अन्य एजेंसियों को भी शामिल किया है जो जीएसटी चोरी में शामिल व्यक्तियों और फर्मों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं. इसके अंतर्गत जीएसटी अधिकारियों ने कई जगहों पर छापा भी डाला है और इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार भी किया है. जीएसटी अधिकारी ने बताया कि इस अभियान के तहत अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि तलाशी से पहले दस्तावेजी सबूतों का इस्तेमाल किया जाए और इस बात का ध्यान रखा जाए कि वास्तविक व्यवसायियों को इससे परेशानी न हो.
इसके अलावा, जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने भी कुछ मामलों में टैक्स चोरी को पकड़ा है. इससे पहले, गुजरात राज्य जीएसटी अधिकारियों ने भावनगर और सूरत में चोरी की आईडी का उपयोग करके एक फर्जी चालान रैकेट का पता लगाया था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने दो महीने का अभियान शुरू किया था. इसके बाद इस अभियान को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल, पंजाब और हरियाणा में भी शुरू किया गया .
5 साल तक की जेल का प्रावधान
केंद्रीय जीएसटी अधिनियम की धारा 122 के तहत गलत तरीके से चालान बनाना एक गैर जमानती अपराध है. इसमें पांच साल तक की जेल के साथ जुर्माना भी देना पड़ता है. हालांकि यह नियम 5 करोड़ रुपए से अधिक की राशि के लिए लागू होता है.
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