वस्तु एवं सेवा कर खुफिया महानिदेशक (DGGI) ने बड़े जीएसटी फर्जीवाड़े का पता लगाया है. विभाग के अनुसार करीब 8 हजार मामले फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट दावे के सामने आए हैं. बड़ी संख्या में संस्थाओं के पास ऐसे सप्लायर्स पाए गए हैं जो नकली दस्तावेजों के आधार पर जीएसटी पंजीकरण कराते थे या नकली चालान मुहैया कराते थे. फर्जीवाड़े में शामिल ऐसी संस्थाओं को नोटिस भेजा जा रहा है.
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक डेटा एनालिटिक्स की मदद से इस घपले का पता चला. जांच में पाया गया कि फॉर्म जीएसटीआर 3बी और जीएसटीआर 2ए के बीच बेमेल है और ऐसे मामलों की संख्या काफी ज्यादा है. लिहाजा लगभग 5,000 व्यवसायों को इस सिलसिले में नोटिस भेजा गया है. इनमें कुछ मामले ऐसे भी हैं जिनमें इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा उन सप्लायर्स के आधार पर किया गया था जिनका जीएसटी पंजीकरण पहले ही रद्द कर दिया गया था या ये महज कागज पर ही चलते हुए पाए गए थे.
लगभग 1,500 कंपनियों से 100 करोड़ रुपए से अधिक के टैक्स डिमांड की मांग की गई है. इसमें जुर्माना और ब्याज दोनों शामिल हैं. विभाग की ओर से ये नोटिस वित्तीय वर्ष 2020-21 और वित्तीय वर्ष 2021-22 से संबंधित विसंगतियों के लिए 15 मई के बाद भेजे गए थे.
नोटिस में कहा गया है कि सप्लायर्स ने कभी भी सही से रिटर्न दाखिल नहीं किया. इतना ही नहीं वे बिना वस्तुओं की सप्लाई किए या सर्विस के नकली चालान मुहैया कराने वाली कंपनियों से जुड़े हुए थे. अधिकारियों ने कहा कि आम तौर पर फॉर्म में मिसमैच तब होता जब आपूर्तिकर्ता ने रिटर्न दाखिल नहीं किया है या रिटर्न भरने की तय तारीख के बाद चालान अपलोड किया है या देरी से रिटर्न दाखिल करते हैं. ऐसे मामलों में कानून इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे को केवल जीएसटीआर-2ए में प्रदर्शित इनपुट टैक्स क्रेडिट की सीमा तक सीमित करता है. वे लंबित क्रेडिट का दावा तभी कर सकते हैं जब आपूर्तिकर्ता ब्याज का भुगतान करने के बाद देर से रिटर्न दाखिल करता है.
क्या होता है जीएसटीआर 2 ए और 3 बी
जीएसटीआर-2ए एक खरीद-संबंधी दस्तावेज है जो जीएसटी पोर्टल पर पंजीकृत प्रत्येक व्यवसाय को दिया जाता है. यह किसी व्यवसाय की ओर से किसी खास महीने में किए गए लेन-देन का वर्णन करता है, इसमें सभी चालान का विवरण होता है. जबकि जीएसटीआर 3बी सेल्फ डेक्लरेशन फॉर्म होता है, जिसमें अपने अनुमान से कुल बिक्री और खरीदारी का ब्योरा देना पड़ता है.