क्या आप जानते हैं कि जीवित ही नहीं, मृत व्यक्ति का भी आयकर रिटर्न (Deceased Person’s ITR) भरा जाता है. जी हां, यह सच है. एक मृत व्यक्ति का आईटीआर (ITR) उसके कानूनी उत्तराधिकारी द्वारा दायर किया जाना चाहिए.
मृत व्यक्ति का ITR दाखिल करने से पहले उसके कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में खुद को पंजीकृत कराना पहला काम है. घर बैठे ही इस प्रक्रिया को आसानी से किया जा सकता है.
कर विशेषज्ञ, गौरी चड्ढा का कहना है कि कानूनी उत्तराधिकारी के लिए यह अनिवार्य है कि वह उस दिन तक के मृतक के ITR दाखिल करे, जब तक वह जीवित था. उसे टैक्स का भुगतान करना होगा और वह रिफंड भी क्लेम कर सकता है.
कानूनी उत्तराधिकारी डीम्ड असेसी होता है, इसलिए यदि वह रिटर्न दाखिल नहीं करने का विकल्प चुनता है, तो आयकर विभाग कार्यवाही को उसी तरह आगे बढ़ाएगा, जैसा कि मृतक के जीवित रहने पर किया जाता.
– https://www.incometaxindiaefiling.gov.in/home पर आयकर ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाएं.
– अपने क्रेडेंशियल्स का उपयोग करके लॉग इन करें और MY ACCOUNT पर क्लिक करें.
– खुद को एक प्रतिनिधि के रूप में पंजीकृत करें.
– मृतक की ओर से न्यू रिक्वेस्ट पर Click करें और आगे बढ़ें.
– मृतक का पैन कार्ड, मृतक का पूरा नाम और मृतक के बैंक खाते के विवरण जैसे सभी आवश्यक विवरण प्रदान करें.
– आपके रिक्वेस्ट को अप्रूव करने के बाद, आपको अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक एसएमएस प्राप्त होगा.
अपने आप को एक कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में पंजीकृत करने के बाद ITR फॉर्म आयकर ई-फाइलिंग वेबसाइट से डाउनलोड करें.
यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सभी विवरण भरने के बाद, प्रपत्र की XML फाइल जनरेट की जानी चाहिए क्योंकि इसे केवल XML फॉर्मेट में अपलोड किया जा सकता है.
पैन कार्ड विवरण भरने के लिए कानूनी उत्तराधिकारी की आवश्यकता होगी. ITR फॉर्म नाम और मूल्यांकन वर्ष भी चुना जाना चाहिए. XML फाइल अपलोड करने और डिजिटल रूप से हस्ताक्षर करने के बाद, फॉर्म जमा किया जा सकता है.
चड्ढा ने कहा, “एक मृत व्यक्ति के आयकर की गणना करने की प्रक्रिया उसी तरह है जैसे हम सभी कटौती और छूट की अनुमति के बाद सामान्य आय की गणना करते हैं. अंतर केवल इतना है कि पूरे वर्ष की गणना के बजाय यह उस तिथि तक गणना की जाती है जब तक वह जीवित था.”
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