मनी 9 ने देश का पहला और सबसे बड़ा पर्सनल सर्वे किया है जिसमें आपकी जेब का हाल बताया गया है. यह सर्वे बताता है कि आप कितना कमाते हैं, कितना खर्च करते हैं, कितना निवेश करते हैं और वह निवेश कहां करते हैं? इस साल मई से सितंबर के बीच किए गए इस सर्वे में आपके लिए ये तमाम जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई है. सर्वे में कोविड के असर को भी शामिल किया गया, यह पता करने की कोशिश की गई कि कोविड ने लोगों की जेब और जिंदगी पर कितना असर डाला?
कोविड के दौरान यानी बीते 3 साल में देश में 44 फीसद यानी हर 100 में से 44 परिवारों की आय घटी है. 49 फीसद परिवारों की आय में कोई अंतर नहीं आया यानी करीब आधे परिवारों की आय जस की तस रही. केवल 7 फीसद परिवारों की आय बढ़ी.
आय वर्ग के हिसाब से देखें तो 15,000 रुपए प्रति माह कमाने वाले परिवारों में केवल 3 फीसद परिवारों की आय बढ़ी, 54 फीसद की आय घट गई और 43 फीसदी की आय में कोई बदलाव नहीं आया. 15,000 से 35,000 रुपए की मासिक आय वाले परिवारों में से 38 फीसद की आय घटी, 43 फीसदी की आय में बदलाव नहीं हुआ और केवल 7 फीसद की आय में वृद्धि हुई. इसके उलट 35,000 रुपए से 50,000 रुपए के आय वर्ग में 34 फीसद परिवारों की मासिक आय घटी, 51 फीसद की आय में कोई बदलाव नहीं आया और 15 फीसद की आय बढ़ी. आखिर में 50,000 रुपए से ज्यादा कमाने वाले आय वर्ग की बात करें तो कोविड के दौरान इस वर्ग के 32 फीसद परिवारों की आय कम हो गई, 46 फीसद की आय जस की तस रही और 22 फीसद परिवारों की आय बढ़ गई. यानी इस वर्ग के सबसे ज्यादा यानी 22 फीसद परिवारों की आय में इजाफा हुआ.
कोविड के दौरान बड़े शहरों से अपने घर लौटने वाले प्रवासी मजदूर 35,000 रुपए प्रति माह से कम कमाई वाले वर्गों में ही आते हैं, यह वह वर्ग है जिसके पास कोई सेविंग नहीं थी जिसके पास बुरे वक्त से निपटने के लिए कोई सेविंग नहीं थी और यही वजह है कि ये मजदूर अपने घर लौटने पर मजबूर हुए थे क्योंकि बिना किसी आमदनी के शहरों में एक महीने भी उनका गुजारा मुश्किल था.
अब कोविड से थोड़ा और पीछे जाएं तो सर्वे में यह पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या बीते पांच सालों में लोगों ने अपनी सेविंग तोड़ी है,अगर तोड़ी तो किसलिए तोड़ी? तो सर्वे के मुताबिक भारत में करीब 47 फीसद लोगों ने अपनी बचत बीते 5 सालों में नहीं तोड़ी. लेकिन जिन्होंने तोड़ी उन्होंने किन वजहों से सेविंग्स तोड़ी? जवाब ये मिला कि सबसे ज्यादा 18 फीसद परिवारों ने हेल्थकेयर, बीमारियों की वजह से, 19 फीसदी से नौकरी जाने की वजह से ऐसा किया. वहीं बच्चों की पढ़ाई के लिए 7 फीसदी लोगों ने, शादी करने के लिए 4 फीसद लोगों ने, लोन रिपेमेंट के लिए3 फीसदी लोगों ने अपनी बचत तोड़ दी.
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