भारत में बीते 7 साल से सरकार कैशलैस और लैस कैश इकोनॉमी का प्रयास कर रहा है. 500 और 1000 रुपए की नोटबंदी के बाद से भारत में डिजिटल पेमेंट के नए नए युग की शुरुआत हुई थी. लेकिन क्या आपको पता है कि आधा दशक बीत जाने के बाद भी कितने लोग आपसी लेनदेन या खरीदारी के लिए कैश पर निर्भर हैं? यूपीआई के आने के बाद लोगों के बीच कैश की आदत उतनी ही बनी हुई है, या फिर कैश की बजाए डिजिटल पेमेंट पर भरोसा करते हैं?
आपकी जेब से जुड़े मनी9 के पर्सनल फाइनेंस सर्वे में इस बारे में पता चला है. मनी9 के सर्वे में पता चला है कि पेटीएम, फोन पे, गूगल पे जैसे ऐप के आने के बाद से, यूपीआई का प्रचलन तेजी से बढ़ा है. लेकिन अभी भी लोगों की पहली पसंद कैश ही बना हुआ है. सर्वे के मुताबिक भारत में 60 प्रतिशत परिवार लेन देन के लिए कैश यानि नकदी का प्रयोग करना पसंद करते हैं. वहीं यूपीआई का उपयोग करने वाले परिवारों की संख्या 34 फीसदी है. वहीं 6 फीसदी परिवार चेक सहित दूसरे माध्यमों पर यकीन करते हैं.
सबसे ज्यादा विश्वास फोनपे पर
जहां 34 फीसदी भारतीय परिवार यूपीआई का उपयोग करना पसंद करते हैं. वहीं मनी9 के सर्वे में यह भी सामने आया है कि फोनपे सबसे ज्यादा भरोसेमंद ऐप है. 1000 के स्केल पर फोनपे का ट्रस्ट इंंडेक्स 779 है. वहीं इस मामले में गूगल पे 505 ट्रस्ट इंडक्स के साथ दूसरे नंबर पर है. पेटीएम 489 के ट्रस्ट इंडेक्स के साथ तीसरे नंबर पर है. भीम ऐप इस मामले में सिर्फ 79 का ट्रस्ट इंडक्स प्राप्त कर सकी है.
सरकारी बैंकों पर सबसे ज्यादा विश्वास
सर्वे में मनी9 ने यह भी पता करने की कोशिश की है, कि आम भारतीय परिवार किन वित्तीय संस्थानों पर सबसे ज्यादा विश्वास करते हैं. मनी9 के सर्वे के मुताबिक अभी भी 81 फीसदी परिवार सरकारी बैंकों पर विश्वास करते हैं. यहां विश्वास के मामले में यूपीआई 62 फीसदी के दूसरे नंबर पर है. 53 फीसदी लोग निजी बैंकों को सबसे विश्वसनीय मानते हैं. इसके अलावा म्यूचुअल फंड पर विश्वास करने वाले परिवारों की संख्या 21 फीसदी है. सेबी इस मामले में 20 प्रतिशत परिवारों का विश्वास जीतता है.