भारत में कितने परिवारों के पास हैं लक्जरी एसेट?

मनी 9 ने देश का पहला और सबसे बड़ा पर्सनल सर्वे किया है जिसमें आपकी जेब का हाल बताया गया है.

भारत में कितने परिवारों के पास हैं लक्जरी एसेट?

मनी 9 ने देश का पहला और सबसे बड़ा पर्सनल सर्वे किया है जिसमें आपकी जेब का हाल बताया गया है. यह सर्वे बताता है कि आप कितना कमाते हैं, कितना खर्च करते हैं, कितना निवेश करते हैं और वह निवेश कहां करते हैं? भारत में किन परिवारों के पास क्या-क्या गैजेट्स हैं, क्या इलेक्ट्रॉनिक अप्लायंसेज हैं, और भारत में कितने ऐसे परिवार हैं जिनके पास ऐसी तमाम संपत्तियां हैं? इस साल मई से सितंबर के बीच किए गए इस सर्वे में आपके लिए ये तमाम जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई है.

एसेट्स के ओनरशिप की बात करें इसे अच्छे से समझने के लिए मनी 9 ने 28 बड़े एसेट्स को लिस्ट किया. इनमें प्लाज्मा टीवी, लैपटॉप से लेकर फ्रिज, वॉशिंग मशीन और एलपीजी स्टोव, डी2एच से लेकर कार, बाइक जैसी तमाम चीजें शामिल की गई थीं. इन चीजों को हमने 3 वर्गों में बांटा, बेसिक एसेट्स, कंफर्ट एसेट्स और लक्जरी एसेट्स.

बेसिक एसेट्स में हमने मोबाइल फोन, सीलिंग फैन, बिजली और एलपीजी स्टोव जैसी चीजों को रखा, इन चीजों के साथ जो परिवार जी रहे हैं उनके लिए हम कह सकते हैं कि वे बेसिक जीवन जी रहे हैं. कंफर्ट एसेट्स में इन चीजों के अलावा दोपहिया वाहन, फ्रिज और कलर टीवी को शामिल किया. मतलब जिन परिवारों के पास ये चीजें हैं, वे कंफर्ट वाला जीवन जी रहा है.. वहीं लक्जरी एसेट्स में इन दोनों वर्गों के एसेट्स के अलावा कार, एसी और वॉशिंग मशीन जैसी चीजों को जगह दी गई. यानी अगर ये सभी चीजें किसी परिवार के पास है, तो वह परिवार लक्जरी वाली लाइफ जी रहा है.

मनी 9 के इस सर्वे के मुताबिक देश के करीब आधे परिवार बेसिक लाइफ जी रहे हैं. भारत में केवल 44 फीसद परिवार यानी हर 100 में से 44 परिवार ऐसे हैं जिनके पास चार बेसिक एसेट्स हैं. वहीं 53 फीसद यानी हर 100 में से 53 परिवार ऐसे हैं जिनके पास कंफर्ट लाइफ जी रहे हैं, क्योंकि उनके पास चार बेसिक एसेट्स के अलावा तीनों कंफर्ट एसेट्स भी हैं. इससे ऊपर जाएं तो भारत में केवल 3 फीसद परिवार यानी 100 में से केवल 3 परिवारों के ही पास ही लक्जरी एसेट्स हैं, यानी उनके पास बेसिक, कंफर्ट एसेट्स के साथ-साथ लक्जरी एसेट्स भी हैं.

इस सर्वे से एक बात साफ होती है कि भारत में बेसिक और कंफर्ट एसेट्स रखने वालों परिवारों की संख्या सबसे ज्यादा है और यही वजह है कि भारत में कंज्यूमर क्लास कुल आबादी के हिसाब से छोटा यानी केवल 8 से 10 करोड़ लोगों का माना जाता है. यह पता चलता है कि बड़े और लक्जरी ब्रांड क्यों महानगरों और टियर-1, टियर-2 शहरों तक सीमित रह जाते हैं, छोटे शहरों, जिलों में क्यों नहीं पहुंचते?

Published - November 5, 2022, 12:30 IST