कानपुर की चंचल पिछले कई महीनों से काफी परेशान हैं. उनके पिता की इस साल दुखद मौत हो गई. उनके पिता ने कई कंपनियों के शेयरों और म्यूचुअल फंड में निवेश कर रखा था. अब चंचल शेयर्स और म्यूचुअल फंड की यूनिट्स अपने नाम कराने के लिए दफ्तर-दफ्तर धक्के खा रही हैं.
लेकिन चंचल जैसे आम लोगों की समस्या को दूर करने के लिए अब मार्केट रेगुलेटर सेबी आगे आया है. SEBI ने किसी निवेशक की मौत की रिपोर्टिंग और वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को केंद्रीकृत और आसान बनाने का प्रयास किया है. इससे किसी निवेशक की डेथ होने पर उसके कानूनी वारिस को शेयरों या म्यूचुअल फंड की रकम ट्रांसफर कराना आसान हो जाएगा.
निवेशक की मौत होने के बारे में उसके बारे में जानकारी देने, केवाईसी एजेंसी के जरिए वेरिफिकेशन और शेयर बाजार से जुड़ी ट्रांसमिशन प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए सेबी ने एक सेंट्रलाइज्ड मेकैनिज्म बनाने का ऐलान अक्टूबर की शुरुआत में किया है. यह नया मेकैनिज्म 1 जनवरी 2024 से लागू होगा.
कैसे काम करेगा नया सिस्टम?
सेबी ने कहा कि किसी निवेशक की मौत होने पर यह अनिवार्य होगा कि जॉइंट अकाउंट होल्डर, नॉमिनी, कानूनी वारिस या परिवार के सदस्य इसकी जानकारी इंटरमीडियरी को दें. यहां इंटरमीडियरी का मतलब ब्रोकरेज हाउस या म्यूचुअल फंड की एएमसी है. इसके बाद इंटरमीडियरी डेथ सर्टिफिकेट का वेरिफिकेशन करेगा. संबंधित इंटरमीडियरी सर्टिफिकेट हासिल करने के अगले दिन तक ही नोटिफायर या नॉमिनी के पैन के साथ इसे ऑनलाइन और ऑफलाइन वेरिफाई कराएगा.
अगर किसी डेथ सर्टिफिकेट का ‘ओरिजिनल सीन एंड वेरिफाइड’ यानी ओएसवी मृत निवेशक के पैन, नोटिफायर के पैन और अन्य डिटेल तथा इनवेस्टर्स सर्विस सेंटर या डिपॉजिटरी की वैलिडेशन रिपोर्ट के साथ, मिलता है तो इंटरमीडियरी इसे अपने ओएसवी की तरह मानेगा.
अभी तक जो प्रक्रिया है, उसमें काफी कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है और निवेशकों के परिजनों को इसमें काफी परेशानी होती है. अगर कई फंड हाउस में निवेशक की यूनिट हैं तो यह प्रक्रिया और भी जटिल हो जाती है, क्योंकि उसके परिजन को हर जगह अलग-अलग जानकारी देनी होती है.
नए नियम के मुताबिक, अगर निवेशक की मौत की सूचना मिलने के बाद डेथ सर्टिफिकेट वेरिफाई नहीं होता है या नहीं मिलता है तो इंटरमीडियरी इस केवाईसी प्रक्रिया को ऑनहोल्ड कर देगा और फिर से डेथ सर्टिफिकेट देने को कहेगा.
मृत निवेशक के खाते या फोलियो से सभी तरह के डेबिट ट्रांजेक्शन यानी निकासी पर रोक लगा दी जाएगी. अकाउंट इसलिए ब्लॉक किया जाता है ताकि इसमें कोई फर्जीवाड़ा न कर सके. ब्लॉक होने के पांच दिन के भीतर नोटिफायर या नॉमिनी को यह जानकारी देनी होगी कि उसे शेयरों, यूनिट के ट्रांसमिशन प्रक्रिया शुरू कराने के लिए क्या दस्तावेज देने हैं. डेथ सर्टिफिकेट वेरिफाई होने पर इंटरमीडियरी केवाईसी रजिस्ट्रेशन एजेंसी यानी KRA के पास ‘केवाईसी मॉडिफिकेशन रिक्वेस्ट’ भेजेगा. यहां निवेशक के बारे में जानकारी अपडेट हो जाएगी.
कैसे रुकेगा फर्जीवाड़ा?
मान लीजिए किसी ने किसी निवेशक की मौत के बारे में गलत जानकारी दी और डेथ सर्टिफिकेट वेरिफाई नहीं हुआ तो इसकी जानकारी तत्काल असल निवेशक को दी जाएगी और अतिरिक्त सतर्कता बढ़ाते हुए इंटरमीडियरी, निवेशक के साथ वीडियो कॉल या व्यक्तिगत उपस्थिति के जरिए वेरिफिकेशन करेगा.
इस सिस्टम का फायदा यह होगा कि एक बार निवेशक की मौत की पुष्टि होने पर इसकी जानकारी सेबी को मिलेगी और फिर सभी फंड हाउस या ब्रोकर के पास अपडेट हो जाएगी. परिजन को अलग-अलग फंड हाउस में या ब्रोकर के पास जाकर जानकारी देने की जरूरत नहीं होगी. यह नियम सिर्फ सेबी रेगुलेटेड निवेश में होगा जैसे कि शेयर, म्यूचुअल फंड आदि.
स्टॉक मार्केट के एक्सपर्ट एवं मंत्री फिनमार्ट के फाउंडर अरुण मंत्री कहते हैं कि अगर वेरिफिकेशन की पूरी प्रक्रिया मानकीकृत हो जाती है तो निवेशकों और उनके कानूनी वारिस के लिहाज से यह बहुत अच्छा कदम साबित होगा. अभी शेयरों के ट्रांसमिशन की प्रक्रिया काफी लंबी है. इसके लिए रजिस्टर्ड वसीयत या उत्तराधिकार का सर्टिफिकेट देना पड़ता है. नए सिस्टम से ट्रांसमिशन की प्रक्रिया तेज और पारदर्शी हो जाएगी और समय भी कम लेगा.
अगर आप निवेशक हैं तो सबसे पहले अपने निवेश के लिए किसी को नॉमिनी जरूर बनाएं. अगर किसी के परिजन की डेथ हो जाती है तो तुरंत उसे इसकी जानकारी ब्रोकरेज फर्म या म्यूचुअल फंड की एएमसी को देनी चाहिए.. अगर परिजन ने किसी को नॉमिनी नहीं बनाया है और वारिस को लेकर किसी तरह का कानूनी विवाद है तो इसके लिए उसे लीगल एडवाइस लेनी चाहिए