इस साल प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के जरिए जुटाई गई पूंजी एक दशक से भी अधिक समय में सबसे ज्यादा हो गई है. ये देश के निजी क्षेत्र की ओर से पूंजीगत व्यय में रिवाइवल की ओर इशारा करती है. जानकारों के मुताबिक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था जल्द ही मौजूदा क्षमताओं को बढ़ाने में मददगार साबित होगी. साल 2023 में आईपीओ से हासिल करीब 27,435 करोड़ रुपए की रकम में से आधी आय फ्रेश इश्यू से जुटाई गई है. ऐसे में इस धनराशि का इस्तेमाल कंपनियां अपना मौजूदा कर्ज चुकाने में कर रही हैं.
भारत के दूसरे सबसे बड़े वाणिज्यिक बंदरगाह ऑपरेटर जेएसडब्ल्यू इंफ्रास्ट्रक्चर के 2,800 करोड़ रुपए के पब्लिक इश्यू में पूरी तरह से प्राइमरी शेयर शामिल हैं. इसी तरह, साम्ही होटल्स की 1,370 करोड़ रुपए के पब्लिक इश्यू की पेशकश में 88% हिस्सा फ्रेश इश्यू का था. इसके अलावा अन्य कंपनियों जैसे- सिग्नेचर ग्लोबल, यात्रा ऑनलाइन, और जैगल प्रीपेड ओशन सर्विसेज में 70% से 85% तक का हिस्सा फ्रेश इश्यू का है. इस बारे में बैंकरों का कहना है कि कंपनियां आर्थिक विस्तार की तैयारी कर रही हैं और ग्रोथ के लिए वो पैसा खर्च कर रही हैं.
एक्सपर्ट के मुताबिक बाजार में तेजी से उत्साहित कॉरपोरेशन अपनी ग्रोथ के लिए रणनीति बना रहे हैं. साल 2023 में अब तक, सफलतापूर्वक धन जुटाने वाले लगभग 50% आईपीओ मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र से हैं, जबकि 35% जारीकर्ता अन्य कैपिटल इंटैस्ट इंडस्ट्रीज जैसे- होटल, अस्पताल, लॉजिस्टिक्स और निर्माण से संबंधित हैं. दिलचस्प बात यह है कि इस साल बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा क्षेत्र में सिर्फ दो आईपीओ ही आए हैं. प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में, 59,302 करोड़ रुपए की कुल फंडिंग में से 30% (17,659 करोड़ रुपए) प्राइमरी इश्यू से हासिल हुए हैं. जबकि शेष 41,643 करोड़ रुपए निवेशकों की ओर से मौजूदा होल्डिंग्स की बिक्री के जरिए जुटाए गए हैं. 2020 में यह रेशियो केवल 13% था.