आजकल इलेक्ट्रिक कारों के जमकर विज्ञापन आ रहे हैं. सड़कों पर ईवी कारों की संख्या भी तेज रफ्तार से बढ़ती जा रही है. ऐसे में अगर आप नई कार खरीदने की सोच रहे हैं तो शायद आप भी इस कनफ्यूजन में होंगे कि इलेक्ट्रिक कार लें या फिर पेट्रोल-डीजल कार? ये सवाल ना केवल आपके बल्कि हर उस इंसान के जेहन में है जो गाड़ी खरीदने का मन बना रहा है और सरकार के EV पर दिए जा रहे प्रोत्साहन को लेकर संजीदा है.
अब सवाल ये कि क्या EV खरीदना फायदे का सौदा है भी या नहीं? अपने दिमाग की इस उलझन को दूर करने के लिए हमें अलग-अलग पहलुओं पर ध्यान देना होगा. तो सबसे पहले बात करते हैं कीमत की. जहां सब्जी तक के लिए सौदेबाजी होती हो. वहां अगर कोई 5-10 लाख रुपए खर्च करने वाला है तो जाहिर है कीमत तो मायने रखती ही है. तो इलेक्ट्रिक कार और पेट्रोल-डीजल कार को पहले इसी कसौटी पर देख लेते हैं.
पेट्रोल-डीजल और इलेक्ट्रिक कार की खरीद की कीमत में बड़ा फर्क है. EV के लिए आपको तकरीबन दो गुना ज्यादा पैसा केवल गाड़ी की खरीद पर चुकाना पड़ता है. जहां एंट्री लेवल की पेट्रोल-डीजल कार की कीमत 4.5 लाख लाख रुपए से शुरू होती है, वही भारत में सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार करीब 8.5 लाख रुपए से शुरू होती है.
हालांकि, इलेक्ट्रिक कार की खरीदारी पर अधिकतम 1.5 लाख रुपए की सरकारी सब्सिडी भी मिलती है तो उसे आप कॉस्ट से घटा सकते हैं.
अब बात करते हैं कार चलाने के खर्च की. इस समय पेट्रोल के दाम करीब 97 रुपए और डीजल के 90 रुपए प्रति लीटर के स्तर पर है तो उस हिसाब से EV की रनिंग कॉस्ट काफी कम बैठती है. यानी EV की खरीदारी पर आपको जो अतिरिक्त पैसा देना पड़ता है उसकी भरपाई आप तकरीबन 6 से 8 साल में कर सकते हैं.
यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आखिर आप हर महीने कितने किलोमीटर गाड़ी चलाते हैं.
Petrol/Diesel EV
रनिंग खर्च/किमी ₹5-9 ₹1.2-1.5
रनिंग खर्च (6-8 साल)* ₹4-8.6 लाख ₹86 हजार -1.44 लाख
रखरखाव पर ध्यान दे तों. रखरखाव के मोर्चे पर भी EV सस्ते पड़ते हैं. यानी यहां से आपको होता है बड़ा फायदा.
Petrol EV
लाइफ 10-15 साल 10-12 साल
रखरखाव ₹10-15 हजार/साल लगभग शून्य
रिप्लेसमेंट खर्च शून्य 3 लाख से शुरू
अब चार्जिंग के खर्च की बात करें तो इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बैटरी चार्ज करने का खर्च अहम होता है.
मिसाल के तौर पर दिल्ली की बात करें तो यहां चार्जिंग स्टेशन पर खर्च ₹4-4.5/यूनिट जबकि घरों में ₹3-8/यूनिट का खर्च आता है. यानी ये खर्च चार्जिंग स्टेशन पर ₹80-202 के मुकाबले घर पर ₹160-450 बैठता है. एक और पहलू बैटरी ध्यान देने लायक है जो है स्वॉपिंग पॉलिसी.
सरकार ने बजट में EV को प्रमोट करने के लिए बैटरी स्वॉपिंग पॉलिसी लाने की बात की है. बैटरी स्वॉपिंग यानी आप किसी भी बैटरी स्वॉपिंग स्टेशन पर अपनी गाड़ी की डिस्चार्ज हुई बैटरी को चार्ज्ड बैटरी से बदल सकते हैं. अब अगर आप लंबे सफर पर हैं तो बैटरी स्वॉपिंग बेहद मददगार साबित होगी. इससे बैटरी चार्ज करने का वक्त बचेगा. अब जानते हैं कि इसपर एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
क्या हमें अभी ईवी खरीदनी चाहिए?
इस बारे में ऑटो एक्सपर्ट टूटू धवन कहते हैं कि ईवी खरीदने के लिए कम से कम पांच साल इंतजार करें. पार्किंग और चार्जिंग इंफास्ट्रक्चर की सुविधा है तभी ईवी खरीदें, उसमें भी शहर से बाहर ट्रिप नहीं होना चाहिए. इसमें कोई दोराय नहीं कि पेट्रोल-डीजल गाड़ी की तुलना में ईवी का रखरखाव खर्च 20 से 30 फीसद ही रह जाएगा. लेकिन री-सेल वैल्यू न के बराबर होगी. ईवी की बैटरी 5,6 साल चलेगी या 12 साल, अभी इसका कोई साक्ष्य अथवा स्पष्टता नहीं है. धवन की सलाह है कि महंगी ईवी खरीदने के बजाय पेट्रोल गाड़ी खरीदें. कॉस्ट में जो अंतर है उसे बचाकर वे रुपए एफडी में निवेश करें और उसके ब्याज से गाड़ी चलाएं.
अब फैसला आपका है, आप पेट्रोल/डीजल गाड़ी की सवारी करना पसंद करेंगे या ईवी की.