बसंत की धूप चुभने लगी है, इसलिए रामू की टपरी पर अड्डा सुबह ही जम जाता है. बगल में अखबार दबाये गुल्लू टूटी बेंच पर टिके थे तो रामू चाय खौलाने लगा.
दोनों के बीच बीमा को लेकर क्या बातें हुईं? जानने के लिए देखिए ये वीडियो-
एकाएक रसिक भाई घर से निकले और अपने पड़ोसी के घर की घंटी बजा दी. अंदर से निकले कार्तिक. फिर क्या हुआ? जानने के लिए देखिए मनी कॉमिक.
सिलेंडर महंगा हो गया, गर्मी के दिन भी आ गए. चाय की बिक्री थमने लगी तो रामू ने लस्सी बेचना शुरू कर दिया.
होली के दिन गुल्लू बैठे हैं रामू की दुकान पर. रामू लस्सी की जगह ठंडाई बेच रहा है. भांग वाली ठंडाई भी है कुछ खास लोगों के लिए.
लॉकडाउन की बरसी. सबके अपने अपने दुख. ऐसे में गुल्लू और रामू के हाथ चढ़ गए बेचारे गुप्ता जी. रामू की दुकान पर इतनी बड़ी बहस इससे पहले कभी नहीं हुई थी.
राकेश झुनझुनवाला की इन्वेस्टमेंट फिलॉसफी को ही दुनिया का आखिरी सत्य मानने वाले सुधीर भाई अभी भी हौसला बनाए हुए हैं.
गर्मी की दोपहरी... सुरेखा के फूफा रामलड़ैते खटिया पर पसरे थे... बत्ती है नहीं, सो हाथ के पंखे से हवा कर रहे.
बड़े उदास गुमसुम गुप्ता जी पहुंचे रामू की दुकान पर... गुल्लू तो जमे ही थे अखबार लिए. रामू अब चाय की जगह लस्सी और शिकंजी बेच रहे हैं. महंगी बिजली और
कार्तिक चाय की टपरी पर बैठा एक क्रिप्टो एक्सचेंज के कस्टमर केयर का फोन लगा रहा था. रसिक भाई उधर से गुजर रहे थे. कार्तिक को देखते ही रुक गए.