DIY: भारतीय और US बाजार में बढ़ा खुद निवेश करने का ट्रेंड

Investment: अब सबके पास समान जानकारी है और काफी जागरुकता और ज्ञान है. इसलिए DIY इन्वेस्टमेंट (Investment) में उभार देखने को मिला है.

  • Team Money9
  • Updated Date - February 15, 2021, 11:50 IST
Investment, Stock Market, Fintech Apps, Online Investments, Groww, US Market, Stock Markets, Share Bazaar, Sensex, Nifty, Stock Market Rally

Pic Courtesy: Pixabay

Pic Courtesy: Pixabay

Investment: साल 2020 में डीमेट अकाउंट (Demat Account) खोलने की तादाद में इजाफा देखा गया, इसका अर्थ साफ है कि निवेशक इक्विटी में ट्रेड के लिए तैयार हैं. बीते साल 1 करोड़ डीमेट अकाउंट (Demat Account) खुले हैं, इसके साथ ही भारत में 4.70 करोड़ अकाउंट 7 दिसंबर 2020 तक खोले जा चुके हैं. अप्रैल 2011 तक ये आंकड़ा सिर्फ 1.80 करोड़ था.

ये तीन गुना इजाफा साफ इशारा करता है कि भारतीय पहले से ज्यादा तकनीकी रूप से मजबूत और बाजार में निवेश के लिए तैयार हैं.

DIY इन्वेस्टमेंट
फिनटेक प्लेटफार्मों (FinTech) के उभरने के साथ, ब्रोकर को खत्म करके बाजार से जुड़े एसेट्स में व्यापार करने को सरल बना दिया गया है. ग्रो (Groww) के सीईओ (CEO) ललित केशरे के मुताबिक जानकारी कठिनाइयों को दूर कर रही है.

उनका कहना है, “सालों से, वह सूचना सिर्फ संस्थागत निवेशकों के पास होती थी, या सूचनाएं सिर्फ कम ही लोगों तक सीमित थी, सभी के पास नहीं होती थी. इसमें अब सुधार हो गया है.अब सबके पास समान जानकारी है और काफी जागरुकता और ज्ञान है. इसलिए DIY इन्वेस्टमेंट (Investment) में उभार देखने को मिला है.”

ब्रोकर से मुक्ति
पूछा गया कि क्या अगर भारतीय ब्रोकर और वेल्थ मैनेजर को हटाकर अपने आप निवेश (Investment) करने के लिए तैयार हैं? केशरे ने कहा, “हमारे प्लेटफॉर्म पर 1 करोड़ रजिस्टर्ड यूजर्स हैं. और इंटरनेट की ये खूबसूरती है कि ये पूरी तरह लोकतांत्रिक है. तो निवेशक जो पटना या बेंगलुरु या अहमदाबाद में बैठा है, वो सभी एक जैसी सूचनाएं हासिल कर रहे हैं. वो भी पूरी पारदर्शी तरीके से. हमारे 60% से ज्यादा यूजर्स प्रमुख 6 शहरों से बाहर के हैं. और 60% से ज्यादा कस्टमर पहली बार निवेशक बने है.”

सलाहकार सेवाओं में बढ़ावा?
वर्तमान में, ग्रो (Groww) अपने ग्राहकों को रिसर्च और लेनदेन सेवाओं के साथ सेवा दे रहा है, लेकिन सलाहकार के स्थान से दूर है. हालांकि आगामी सालों में कंपनी सलाहकार के तौर पर भी प्लान कर रही है. उन्होंने कहा कि “हम सलाहकार सेवाओं में शामिल होंगे, लेकिन निकट भविष्य में नहीं क्योंकि इसे हल करना एक कठिन समस्या है”

अमेरिकी शेयरों में निवेश
भारतीय निवेशक अमेरिकी स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं और इसके आसपास  रेगुलेट्री और टैक्सेशन क्लेरिटी है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की वेबसाइट के मुताबिक लिब्रेलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत सभी निवासी, जिनमें नाबालिग भी शामिल हैं, को किसी भी चालू या कैपिटल अकाउंट से लेनदेन या दोनों के लिए प्रति फाइनेंशियल ईयर (अप्रैल – मार्च) तक स्वतंत्र रूप से 2,50,000 डॉलर तक निवेश (Investment) की छूट दी जाती है. ”

यही कारण है कि इस ट्रेंड में भारतीयों में ग्लोबल आईटी शेयरों में निवेश की होड़ बढ़ी है. “वहां रेगुलेट्री क्लेरिटी के लिए बहुत कुछ है. भारतीय गूगल, फेसबुक, टेस्ला जैसी कंपनियों के स्टॉक खरीद रहे हैं.”

टैक्स के मोर्चे पर, विशेषज्ञ शरद कोहली ने कहा कि वर्तमान टैक्स ट्रीटी के तहत, “यदि एक भारतीय की आय पर अमेरिका में टैक्स लगाया जाता है, तो भारत, अमेरिका में वापस लिए गए टैक्स का क्रेडिट देगा.”

Published - February 15, 2021, 11:50 IST